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सरकार को लगा रहे थे चूना, दो अस्पतालों को भेजा नोटिस; सूचीबद्धता निलंबित

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में निजी चिकित्सालय द्वारा सरकार को चूना लगाने के मामले में दो अस्‍पतालों को नोटिस भेजा गया है।

By Edited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 10:10 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 11:18 AM (IST)
सरकार को लगा रहे थे चूना, दो अस्पतालों को भेजा नोटिस; सूचीबद्धता निलंबित
सरकार को लगा रहे थे चूना, दो अस्पतालों को भेजा नोटिस; सूचीबद्धता निलंबित

देहरादून, राज्य ब्यूरो। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना में निजी चिकित्सालय सरकार को चूना लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इस कड़ी में दो और अस्पतालों द्वारा गलत जानकारी और धोखाधड़ी कर मरीजों का इलाज करने और क्लेम लेने का मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में इसकी पुष्टि होने पर कार्यालय अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने विनोद आर्थो क्लीनिक, देहरादून और बृजेश हॉस्पिटल, रामनगर, नैनीताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों को 15 दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं। तब तक दोनों अस्पतालों की सूचीबद्धता को निलंबित करते हुए इनके समस्त लंबित देयकों के भुगतान पर रोक लगा दी है।

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अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना, कार्यालय को कुछ समय पहले देहरादून स्थित विनोद आर्थो क्लीनिक के खिलाफ गलत दस्तावेजों के आधार पर भुगतान प्राप्त करने की सूचना मिली थी। इस पर जब जांच की गई तो पता चला कि क्लीनिक ने 126 केस में से 22 केस पर बिना पूर्व अनुमति के ही सर्जरी कर दी है। इसके अलावा अन्य 135 केस में से 75 केस में एक ही रोगी के एक से अधिक पैकेज में इलाज दिखाकर भुगतान प्राप्त किया गया है। अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना कार्यालय ने इस प्रकार के प्रकरणों को धोखाधड़ी और मरीजों को खतरे में डालना करार दिया है। यहां तक कि सूचीबद्धता के समय क्लीनिक में तैनात चिकित्सकों के संबंध में गलत जानकारी दी गई है। शासन ने विनोद आर्थो क्लीनिक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के भीतर पक्ष रखने को कहा है। 

इसी प्रकार बृजेश हॉस्पिटल, रामनगर नैनीताल ने 279 में से 61 मामलों में बिना पूर्व अनुमति के ही इलाज व सर्जरी की है। इनमें से कई मामलों में हॉस्पिटल प्रबंधन ने नियमविरुद्ध मरीजों से इलाज का शुल्क भी लिया है और इनका भुगतान भी अटल आयुष्मान योजना के तहत प्राप्त कर लिया है। इस प्रकरण को गंभीर पाते हुए हॉस्पिटल प्रबंधन को नोटिस देकर 15 दिनों के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। दोनों अस्पतालों को ऐसा न करने की स्थिति में एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लाने की भी चेतावनी दी गई है। 

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