उत्तराखंड: जौलीग्रांट हवाई अड्डे के ऊपर उड़ान भरते नजर आए दो लड़ाकू विमान
भारतीय वायुसेना के दो फाइटर जेट विमान पिछले डेढ़ घंटे से जौलीग्रांट हवाई अड्डे के ऊपर उड़ान भरते दिखाई दिए।
डोईवाला (देहरादून), जेएनएन। भारतीय वायुसेना के दो फाइटर जेट विमान शुक्रवार दोपहर को डेढ़ घंटे तक जौलीग्रांट हवाई अड्डे के ऊपर व आसपास मंडराते दिखाई दिए। तेज आवाज के साथ यह विमान तेजी के साथ हवाई पट्टी के रनवे को छूते हुए उड़ान भरते भी देखे गए।
इन दिनों भारत- चीन बॉर्डर पर तनाव की स्थिति देखी जा रही है। उत्तराखंड की सीमा चीन से लगती हैं। सामरिक दृष्टि से भी उत्तराखंड कि सीमा की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। शुक्रवार को वायु सेना के दो लड़ाकू विमान जौलीग्रांट एयरपोर्ट के ऊपर व आसपास उड़ान भरते नजर आए। पलक झपकते ही कई फाइटर विमान आकाश में जबरदस्त गर्जना व आवाज के बीच ओझल भी हो गए। दोपहर लगभग 11:30 बजे से एक बजे के बीच आसमान को थर्रा देने वाली आवाज करते इन फाइटर विमानों को देखने के लिए कई लोग अपने मकान के ऊपर व दुकानों के बाहर निकलते दिखाई भी दिए। एयरपोर्ट निदेशक बीके गौतम ने बताया कि वायु सेना के विमानों के एयरपोर्ट व आसपास मंडराने की पुष्टि की। बताया कि विमान कई बार फ्यूल भरवाने के लिए आते हैं। इसके साथ ही रुटीन में भी विमान आते-जाते रहते हैं।
भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में उत्तराखंड से सटी चीन सीमाओं पर भी चौकसी बढ़ाई गई है। इस बीच शुक्रवार को जौलीग्रांट हवाई अड्डे के ऊपर दो लड़ाकू विमान उड़ान भरते हुए नजर आए हैं। गौरतलब है कि इससे पहले दस जून को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उत्तरकाशी जिले की चिन्यालीसौड़ पट्टी पर वायुसेना के एनएन-32 मालवाहक विमान की सफल लैंडिंग हुई थी। ये विमान आगरा एयर बेस से चिन्यालीसौड़ हवाईपट्टी पहुंचा था। बता दें कि चिन्यालीसौड़ से चीन सीमा की दूरी 125 किमी है। चीन सीमा पर तनातनी की खबर के बाद से ही वायु सेना अभ्यास में जुटी हुई थी।
चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से संवदेनशील रही है है। इसमें से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह क्षेत्र जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 129 किलोमीटर दूर है। विषम भूगोल वाली नेलांग घाटी में सेना और आइटीबीपी के जवान सतर्क हैं। उत्तरकाशी के पास चिन्यालीसौड़ में हवाई पट्टी का कार्य भी अंतिम चरण में है। सेना और वायुसेना यहां परीक्षण करते रहे हैं। यहां से चीन सीमा की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) 126 किलोमीटर है। वर्ष 1990 में नेलांग तक सड़क तैयार कर ली गई थी, इसके बाद नेलांग से जादूंग करीब 16 किलोमीटर लंबी सड़क वर्ष 2005 में पूरी होगी।
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मई में हर्षिल में भी घुसपैठ की चर्चा
लद्दाख में घुसपैठ के बाद मई में नेलांग क्षेत्र में भी चीनी सैनिकों की घुसपैठ की चर्चा थी। हालांकि सरकार, शासन और प्रशासन ने इससे इनकार किया था। तब यह बात सामने आई थी कि हर्षिल से 85 किलोमीटर दूर मुलिंगला, थांगला-1 और थांगला-2 क्षेत्र में चीनी सैनिक देखे गए। हालांकि, भारतीय जवानों ने उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया। गौरतलब है कि 21 मई को मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, ईएस घुमन हर्षिल पहुंचे थे और उन्होंने सीमावर्ती चौकियों का निरीक्षण किया।
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