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अब किसानों की आय बढ़ाएगी तुलसी की चाय, पढ़िए पूरी खबर

तुलसी की चाय अब किसानों का घाटा भी दूर करेगी। इसके लिए जड़ी बूटी शोध संस्थान किसानों को तुलसी की चाय बनाने का प्रशिक्षण देने जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 08:07 PM (IST)
अब किसानों की आय बढ़ाएगी तुलसी की चाय, पढ़िए पूरी खबर
अब किसानों की आय बढ़ाएगी तुलसी की चाय, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर शर्मा। तुलसी के गुण सिर्फ बीमारी ही नहीं किसानों की गरीबी दूर करने में भी मददगार साबित होंगे। इसके लिए जड़ी बूटी शोध संस्थान किसानों को तुलसी की चाय बनाने का प्रशिक्षण देने जा रहा है। 

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जड़ी बूटी शोध संस्थान के मुताबिक तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी भी कहा जाता है। यह बारह मासी, सुगंधित, क्यूलीनरी शाकीय पौधा है। इसकी 60 प्रजातियां पहचानी गई हैं। तुलसी में विटामिन ए, सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, क्लोरोफिल अधिक मात्रा में मिलता है। ये तत्व गंभीर बीमारी से लेकर सर्दी जुकाम को दूर करने में उपयोगी है। तुलसी में मौजूद इन गुणों के वजह से तुलसी हर्बल चाय की मांग बढ़ रही है। लेकिन इसका फायदा पर्वतीय, सीमांत जनपद के किसानों को नहीं मिल सका। 

दरअसल, किसान को तुलसी की प्रोसेसिंग कर चाय की पत्ती बनाना नहीं आता। इसलिए किसानों को फायदा न होने से उनका तुलसी की खेती से मोहभंग हो रहा है। इधर, संस्थान ने तुलसी की चायपत्ती बनाने की यूनिट और तुलसी हर्बन गार्डन बनाया है। इस यूनिट में किसानों को तुलसी की पत्ती को प्रोसेसिंग कर चाय बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही गार्डन के जरिए तुलसी की किस्मों की जानकारी दी जा रही है। इसका मकसद किसानों को तुलसी की हर्बल चाय बेचकर आय बढ़ाना है। योजना का रोस्टर बनाकर जिले वार प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

तुलसी फायदे 

- तुलसी के एंटी बैक्टीरियल गुण दूषित जल को शुद्ध कर सकते हैं 

- दिन में 20 घंटे ऑक्सीजन बनाती है। 

- कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में है मददगार।  

इन बीमारियों में है फायदेमंद 

कैंसर, शुगर, बांझपन, हृदयरोग, पेट की बीमारी, ऐंठन, मिर्गी, मलेरिया, बुखार, ब्रॉन्काइटिस, सूजन 

60 किस्म की होती है तुलसी 

तुलसी की 60 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें रामा, श्यामा, अमृता, बना, मीठी, थाई, लेमन, बियतनामी, अमेरिकन, अफ्रीकन, ब्ल्यू आदि प्रमुख हैं। इनमें रामा श्यामा घर-घर में पाई जाती हैं।  

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जड़ी-बूटी शोध संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ. चंद्रशेखर सनवाल ने बताया कि प्रोसेसिंग यूनिट में तुलसी से चाय बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे किसान चायपत्ती बनाकर बेच सके। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और पलायन थमेगा। 

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