चारधाम समेत अन्य मंदिरों में न्यासी, पुजारी और रावल की नियुक्ति होगी परंपरानुसार
चारधाम समेत इनके नजदीकी 51 मंदिरों में न्यासी पुजारी और रावल की नियुक्ति परंपरानुसार ही होगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। बदरीनाथ, केदारनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री समेत इनके नजदीकी 51 मंदिरों का प्रबंधन चारधाम श्राइन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा, लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देय दस्तूरात और अधिकार यथावत बने रहेंगे। विस के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को सदन के पटल पर रखे गए उत्तराखंड चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक में ये बात कही गई है। इसके मुताबिक पुजारी, रावल, न्यासी और अन्य व्यक्तियों को यथास्थिति नियुक्ति करने में धार्मिक संप्रदाय, परंपराओं और वंशानुगत अधिकारों का सम्यक ध्यान रखा जाएगा।
श्राइन बोर्ड को लेकर चल रहे विरोध के बीच हाल में मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी। बाद में इसमें कुछ संशोधन भी किए गए। सदन के पटल पर रखे गए विधेयक में यह नजर भी आया। विधेयक के मसौदे में पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को देय दस्तूरात और अधिकार यथावत रखना इसे तस्दीक करता है। विधेयक के मुताबिक बोर्ड का उपाध्यक्ष संस्कृति और धर्मस्व विभाग का मंत्री होगा। यदि वह हिंदू नहीं है तो मुख्यमंत्री हिंदू धर्म मानने वाले मंत्रिपरिषद के किसी वरिष्ठ मंत्री को यह जिम्मा देगा। बशर्ते मंत्री बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्ति की पात्रता रखता हो।
बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिंदू धर्म का अनुयायी अखिल भारतीय सेवा के उच्च समयमान वेतनमान में कार्यरत अधिकारी होगा। इसके लिए धारा-2(ग) में हिंदू धर्म को मानने वाले के स्थान पर अनुयायी शब्द रखा गया है। साथ ही हकहकूकधारी और श्राइन की परिभाषा भी स्पष्ट की गई है।
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इस अधिनियम के तहत उत्तराखंड चारधाम निधि गठित होगी। बोर्ड इस अधिनियम की सूची में शामिल मंदिरों की संपत्ति के रखरखाव, संरक्षण व प्रबंधन को कदम उठाएगा। श्राइन प्रबंधन और यात्रा समन्वय को उच्चस्तरीय समिति बनेगी।
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