त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की तीन रिक्त कुर्सियों के 40 से ज्यादा तलबगार
त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह कि मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों के लिए भाजपा के 40 से ज्यादा विधायक दावेदार हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह कि मंत्रिमंडल में रिक्त तीन स्थानों के लिए भाजपा के 40 से ज्यादा विधायक दावेदार हैं। यही मुख्यमंत्री के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भी है कि इनमें से किन तीन विधायकों की मंत्री पद पर ताजपोशी की जाए। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही मुख्यमंत्री कुछ मंत्रियों के महकमों में बदलाव भी कर सकते हैं।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटों पर कब्जा जमाया। राज्य के चार विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका रहा, जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ। इससे पहले के तीन विधानसभा चुनावों में सत्ता में आई भाजपा और कांग्रेस ने बाहरी समर्थन के बूते ही सरकार बनाई।
उत्तराखंड में यूं तो अधिकतम 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो सकता है लेकिन मार्च 2017 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो मंत्रिमंडल का आकार 10 सदस्यीय ही रखा। हालांकि शुरुआत से ही कयास लगाए जाते रहे कि वह जल्द दो अन्य मंत्री भी अपनी टीम में शामिल करेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फिर पिछले वर्ष जून में कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के निधन के कारण मत्रिमंडल में एक और स्थान खाली हो गया।
अब मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के तीन साल पूरे होने से ठीक पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सार्वजनिक रूप से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए हैं। इसके बाद मंत्री पद के दावेदारों की उम्मीदों को एक बार फिर पंख लग गए हैं। मंत्री पद के दावेदारों में स्वाभाविक रूप से वे पांच विधायक भी शामिल हैं, जो पूर्व में मंत्री रह चुके हैं।
इनमें हरबंस कपूर, बिशन सिंह चुफाल, बंशीधर भगत, खजानदास और बलवंत सिंह भौर्याल शामिल हैं। इनके अलावा 20 ऐसे विधायक हैं, जो दो या इससे ज्यादा बार विधायक रहे हैं। इनमें मुन्ना सिंह चौहान, सुरेंद्र सिंह जीना, हरभजन सिंह चीमा, पुष्कर सिंह धामी, महेंद्र भट्ट जैसे वरिष्ठ और तेजतर्रार माने जाने वाले विधायक मुख्य हैं।
मंत्री पद के लिए उपयुक्त विधायक के चयन में क्षेत्रीय संतुलन को तरजीह मिलना भी तय है। मौजूदा नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत छह मंत्री गढ़वाल मंडल से हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो दावा कुमाऊं मंडल से आने वाले विधायकों का ज्यादा पुख्ता रहेगा।
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अगर मंत्रिमंडल विस्तार में तीन रिक्त स्थान भरे जाते हैं तो तय है कि इनमें से दो कुमाऊं और एक गढ़वाल मंडल के हिस्से जाएगा। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री अपने कुछ मौजूदा मंत्रियों के दायित्वों में भी बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए मंत्रियों के पौने तीन साल के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड बांचा जा रहा है।
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