Triple Talaq Bill: मुस्लिम महिलाओं ने लांघी दहलीज तीन तलाक में दर्ज कराए नौ मुकदमे
Triple Talaq Bill तीन तलाक कानून (मुस्लिम महिला-विवाह अधिकार संरक्षण) को अस्तित्व में आए एक वर्ष पूरा हो गया है। इस अवधि में जिले में कुल नौ मुकदमे दर्ज कराए।
देहरादून, जेएनएन। Triple Talaq Bill तीन तलाक कानून (मुस्लिम महिला-विवाह अधिकार संरक्षण) को अस्तित्व में आए एक वर्ष पूरा हो गया है। इस अवधि में जिले में तीन तलाक कानून के तहत कुल नौ मुकदमे दर्ज कराए गए। इनमें से चार मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। बाकी के चार मामलों की विवेचना हो रही है और एक में समझौते की कोशिश की जा रही है।
तीन तलाक बिल राज्यसभा में 30 जुलाई 2019 को पास हुआ था। इसके अगले दिन राष्ट्रपति ने भी इस बिल को मंजूरी दे दी। जिसके बाद यह बिल कानून के रूप में अस्तित्व में आ गया। जिले की बात करें तो इस कानून के तहत अब तक विकासनगर में सर्वाधिक पांच और शहर कोतवाली, रायवाला, राजपुर व सहसपुर में एक-एक मुकदमा दर्ज किया गया है। विकासनगर कोतवाली में दर्ज पांच मुकदमों में से चार में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर आरोपितों को नोटिस जारी किया जा चुका है। बाकी के एक मामले में जांच चल रही है। रायवाला, राजपुर और सहसपुर थाने में दर्ज मुकदमों में भी पुलिस जांच कर रही है। वहीं, शहर कोतवाली में दर्ज मुकदमे में दोनों पक्षों में समझौते की बात चल रही है। इन मुकदमों में कुल 25 आरोपितों को नामजद किया गया था। लेकिन, किसी भी मामले में अब तक आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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इनका कहना है
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की प्रांत संयोजिका सीमा जावेद का कहना है कि राष्ट्रीय मंच तीन तलाक कानून बनने से महिलाओं में आत्मविश्वास जागा है। अब एक झटके में दांपत्य के पवित्र रिश्ते को खत्म नहीं किया जा सकता। तीन तलाक महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन गया था। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता नाजिया कौसर का कहना है कि तीन बार तलाक कहने से तलाक नहीं होता। इससे आगे भी मुस्लिम धर्म में कानून हैं। कानून बनने के बाद मुकदमे उन्हीं महिलाओं ने दर्ज करवाएं हैं, जिन्हें जानकारी कम है। पति ने तीन बार तलाक बोला और उन्होंने मुकदमा दर्ज करा दिया।