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दो दिन बर्फबारी में फंसा रहा मयाली पास केदारनाथ की ट्रैकिंग पर गया दल, गाइड की समझदारी से लौटा सुरक्षित

मयाली पास केदारनाथ की ट्रैकिंग पर गया सात सदस्यीय दल दो दिन बर्फबारी के बीच फंसा रहा लेकिन गाइड विपेंद्र राणा की समझदारी और उचित निर्णय के कारण दल सुरक्षित वापस लौट आया है। दल में बंगाल के तीन ट्रैकर शामिल थे।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 10:25 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 10:25 AM (IST)
दो दिन बर्फबारी में फंसा रहा मयाली पास केदारनाथ की ट्रैकिंग पर गया दल, गाइड की समझदारी से लौटा सुरक्षित
दो दिन बर्फबारी में फंसा रहा मयाली पास केदारनाथ की ट्रैकिंग पर गया दल।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। टिहरी जनपद के घुत्तू गंगी से मयाली पास केदारनाथ की ट्रैकिंग पर गया सात सदस्यीय दल दो दिन बर्फबारी के बीच फंसा रहा, लेकिन, गाइड विपेंद्र राणा की समझदारी और उचित निर्णय के कारण दल सुरक्षित वापस लौट आया है। दल में बंगाल के तीन ट्रैकर शामिल थे। सुरक्षित लौटने पर उन्होंने अपने गाइड और पोर्टर का आभार व्यक्त किया।

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बंगाल के तीन ट्रैकर, एक गाइड और तीन पोर्टर का दल 11 अक्टूबर को उत्तरकाशी की ट्रैकिंग माउंटेनियरिंग एजेंसी नार्थ हिमालय होलीडे के नेतृत्व में उत्तरकाशी से घुत्तू के लिए रवाना हुआ था। उत्तरकाशी के रैथल निवासी विपेंद्र राणा दल के गाइड थे। विपेंद्र राणा ने बताया कि गंगी से उनका दल 13 अक्टूबर को आगे बढ़ा और खतलिंग ग्लेशियर होते हुए चौकी पहुंचा। उन्होंने 16 अक्टूबर तक चौकी में ही विश्राम किया। फिर 17 अक्टूबर की सुबह मसरताल के लिए रवाना हुए, लेकिन सुबह 11 बजे बर्फबारी शुरू हो गई।

उस दौरान वे मसरताल से करीब एक किलोमीटर दूर थे, लेकिन उन्होंने मौसम को देखते हुए आसपास के किसी सुरक्षित स्थान पर आपातकालीन कैंप लगाना उचित समझा। बर्फबारी के बीच ही आपातकालीन कैंप लगाया गया। उन्होंने पानी के लिए बर्फ का उपयोग किया। हर दो घंटे में टेंटों में एकत्र हो रही बर्फ को हटाया।

यह कार्य 17 और 18 अक्टूबर की रात तक जारी रहा। 19 अक्टूबर को मौसम साफ हो गया, लेकिन कच्ची बर्फ में आगे बढ़ना सुरक्षित नहीं था। इसलिए उन्होंने अभियान को रोकने और वापस लौटने का निर्णय लिया, जिससे वे सुरक्षित लौट आए हैं। विपेंद्र राणा कहते हैं कि वे पिछले दस वर्षों से गाइड का कार्य कर रहे हैं। उच्च हिमालय क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए जोश से महत्वपूर्ण वहां के मौसम का अनुभव होता है, जिसके आधार पर आगे बढऩे और रुकने का निर्णय लिया जाता है।

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