परिवहन व्यवसायियों ने काला फीता बांधकर किया प्रदर्शन, इस फैसले का कर रहे विरोध
व्यवसायिक वाहनों की आयु सीमा दस साल निर्धारित करने पर चल रही कार्रवाई के विरोध में परिवहन व्यवसायियों ने काला फीता बांधकर प्रदर्शन किया।
ऋषिकेश, जेएनएन। प्रदेश में व्यवसायिक वाहनों की आयु सीमा दस साल निर्धारित करने पर चल रही कार्रवाई के विरोध में उत्तराखंड परिवहन महासंघ के आह्वान पर मंगलवार को परिवहन व्यवसायियों ने काला फाता बांधकर विरोध किया। परिवहन महासंघ ने आंदोलन को और वृहद रूप देने का एलान किया है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के पत्र पर संभागीय परिवहन प्राधिकरण देहरादून ने प्रदेश में वाहनों की आयु सीमा 10 वर्ष करने पर का फैसला लिया है, जिससे परिवहन व्यवसायी नाराज हैं। उत्तराखंड परिवहन महासंघ ने इस मामले को लेकर बीती एक नवंबर को बैठक आयोजित कर इस नियम का विरोध करने का मन बनाया था। महासंघ ने मंगलवार से प्रदेश भर में सभी परिवहन व्यवसायियों और कर्मचारियों से काली पट्टी बांधकर विरोध करने की अपील की थी। जिसके तहत मंगलवार को ऋषिकेश सहित देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा, ऊधम सिंह नगर, चंपावत, बागेश्वर आदि जनपदों में सभी परिवहन व्यवसायों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में व्यावसायिक परिवहन से जुड़े बस, ट्रक, सूमो, कमांडर, टैक्सी, मैक्सी, डंपर आदि संस्थाओं के लोग शामिल हुए।
ऋषिकेश में परिवहन महासंघ सहित विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने कार्यालयों पर इस नियम के विरोध में प्रदर्शन किया। हरिद्वार मार्ग टैक्सी यूनियन और लक्ष्मणझूला टैक्सी यूनियन ने भी काला फीता बांधकर प्रदर्शन किया। महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि महासंघ का चरणबद्ध आंदोलन शुरू हो गया है। जब तक परिवहन व्यवसायियों के हित में ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है, तब तक विरोध जारी रहेगा।
इस दौरान पर महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज ध्यानी, पर्वतीय ट्रक यूनियन के अध्यक्ष दिनेश बहुगुणा, संयुक्त रोटेशन के नवीन चंद रमोला, सुरेश कंडियाल, टीजीएमओ के उपाध्यक्ष बलवीर सिंह रौतेला, रूपकुंड के अध्यक्ष भोपाल सिंह नेगी, यातायात के संचालक दाताराम रतूड़ी, दिलबर सिंह बिष्ट, मदन कोठारी, द्वारिका कोठारी, भानु प्रकाश रांगड़, चंदन सिंह पंवार, रुकम पोखरियाल, बृज भानु प्रकाश गिरी, आशुतोष तिवारी आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड में न्याय संगत नहीं नियम
महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि उत्तराखंड पर्वतीय प्रदेश है और यहां मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा वाहनों का संचालन आधा है। ऐसे में प्रदेश में संचालित होने वाले वाहन 15 वर्ष की आयु सीमा में भी प्रदूषण के कारक नहीं बनते। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में यह नियम न्याय संगत नहीं है। अगर ऐसा होता है तो इस व्यवसाय से जुड़े लाखों लोग प्रभावित होंगे।
यह भी पढ़ें: उच्च शिक्षा मंत्री को आयुष छात्रों ने दिखाए काले झंडे
कहा कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो भविष्य में परिवहन व्यवसायी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। परिवहन महासंघ पहले ही 31 दिसंबर सीएम आवास का घेराव करने का एलान कर चुका है। इससे पहले महासंघ का प्रतिनिधि मंडल विभिन्न शासन और प्रशासन में मिलकर अपना पक्ष रखेगा।
यह भी पढ़ें: फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों में उबाल, प्राचार्य कार्यालय में तालाबंदी Dehradun News