बीकानेर के भेड़ पालकों ने सीखी ऊन कल्पन की तकनीक
आधुनिक मशीनों से भेड़ों की ऊन कल्पन व ऊन श्रेणीकरण की आधुनिक तकनीक सीखने बीकानेर राजस्थान के 30 भेड़ पालक उत्तराखंड पहुंचे हैं।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : आधुनिक मशीनों से भेड़ों की ऊन कल्पन व ऊन श्रेणीकरण की आधुनिक तकनीक सीखने बीकानेर राजस्थान के 30 भेड़ पालक उत्तराखंड पहुंचे हैं। यहां ऊन श्रेणीकरण व विक्रय केंद्र में प्रशिक्षण के पश्चात भेड़ पालकों को गुनियाल गांव में ऊन कतरन का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाना है।
केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान बीकानेर राजस्थान की ओर से 30 भेड़ पालकों को आधुनिक तकनीक से रूबरू कराने के लिए उत्तराखंड लाया गया है। बुधवार को उन श्रेणीकरण एवं विक्रय केंद्र मुनिकीरेती में प्रभारी अधिकारी हितेंद्र यादव ने भेड़ पालन को जानकारियां दी। केंद्र के प्रभारी अधिकारी हितेंद्र यादव ने भेड़ पालन व्यवसाय को सफल बनाने के लिए 5-ई (मिलाई, पिलाई, खिलाई, कटाई और सफाई) के सिद्धांत को अपनाने की अपील की। उन्होंने ऊन के रेशों के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए शियरिग मशीन के पार्ट्स आदि से किसानों को अवगत कराया। उन्होंने उन शेयरिग के समय ऊन की ग्रेडिग के महत्व की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रेडिग के उपरांत ही कच्ची ऊन की बॉडी व स्कल्ट ऊन की ही पेकिग की जानी चाहिए। उन्होंने उत्तराखंड राज्य में ऊन की दरों का निर्धारण, ऊन के रेशों की मोटाई और लंबाई पर आधारित दरों की जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने उत्तराखंड राज्य में बोर्ड की ओर से आयोजित किए जाने वाले क्रेता-विक्रेता सम्मेलनों के संबंध में अवगत कराया। इस अवसर पर उत्तराखंड भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी डॉ. अविनाश आनंद ने बोर्ड की ओर से संचालित योजनाओं, ऊन ग्रोथ सेंटर, ऑस्ट्रेलियन मेरिनो भेड़ों को राज्य में आयातित कर नस्ल सुधार कार्यक्रम से अवगत कराया। केंद्रीय भेड़ अनुसंधान संस्थान बीकानेर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आशीष चोपड़ा ने बताया कि 30 व 31 जनवरी को मालसी डियर पार्क के समीप गुनियाल गांव में भेड़ पालकों को ऊन कतरन का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस अवसर पर जितेंद्र कुमार, शेखर चंद्र पंत, ऊन ग्रेडर चंद्र मोहन भट्ट, ऊन शियरर ज्योतिराम पेटवाल आदि उपस्थित रहे।