अभी तक नहीं मिल पाई अवेयरनेस सेंटर को जमीन
यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों को सीज कर रखने के लिए परिवहन अवेयरनेस सेंटर बनाने की दिशा में फिलहाल सुस्त रफ्तार से काम आगे बढ़ रहा है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों को सीज कर रखने के लिए परिवहन अवेयरनेस सेंटर बनाने की दिशा में फिलहाल सुस्त रफ्तार से काम आगे बढ़ रहा है। जून में हाईकोर्ट द्वारा तीन माह में इसके लिए जमीन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे। यह समय-सीमा तकरीबन पूरी हो चुकी है। बावजूद इसके हाल ही में संपन्न हुई सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में एक बार फिर इसके लिए तीन माह का समय देने पर चर्चा की गई है।
प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर हाईकोर्ट ने सरकार को रोकथाम के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए थे। इसमें परिवहन थाना अथवा परिवहन अवेयरनेस सेंटर बनाना भी शामिल था। इसे थाने की जगह अवेयरनेस सेंटर नाम इसलिए दिया गया था ताकि यहां वाहन छुड़ाने वाले आने वाले वाहन स्वामियों अथवा चालकों को यातायात के नियमों का पाठ भी पढ़ाया जा सके। हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों के क्रम में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें मुख्य सचिव ने तीन माह के भीतर जमीन उपलब्ध कराने को कहा था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।
दरअसल, परिवहन विभाग अभी जो प्रवर्तन अथवा चेकिंग का कार्य करता है उसमें सीज किए गए वाहनों को पुलिस थाने में खड़ा किया जाता है। थानों में जगह की कमी के चलते कई बार यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों को सीज करने में दिक्कत होती है और सख्त कार्रवाई की बजाय इन्हें मामूली धाराओं में चालान कर छोड़ दिया जाता है। कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए विभाग ने इस बिंदू को भी मुख्य रूप से उठाया था। इस पर हाईकोर्ट ने सभी जिलों में ऐसे वाहनों का खड़ा करने के लिए अलग जगह बनाने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में मुख्य सचिव ने भी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए। मुख्य सचिव की बैठक के तकरीबन दो माह बाद हुए सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में भी यह मसला आया। आश्चर्यजनक रूप से अभी भी अवेयरनेस सेंटर के लिए जमीनों का चयन नहीं हो पाया है। हाल ही में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में हुई सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में एक बार फिर तीन माह के भीतर इसके लिए जमीन चिह्नित करने की बात कही गई है।
हालांकि, अपर आयुक्त परिवहन सुनीता सिंह का कहना है कि बैठक में सभी को हाईकोर्ट के निर्णय के बारे में जानकारी दी गई थी। कुछ जिलों से इस संबंध में प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए हैं।