नहर बंदी के विरोध में सड़कों पर उतरे व्यापारी, पूर्णिमा के बाद बंद करने की मांग
नहर बंदी के विरोध में प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल ने अपर रोड पर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रोष जताया। उन्होंने 30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही नहर बंदी किए जाने की मांग की।
हरिद्वार, जेएनएन। हरिद्वार में नहर बंदी के विरोध में प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल ने अपर रोड पर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रोष जताया। उन्होंने 30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा के बाद ही नहर बंदी किए जाने की मांग की।
जिलाध्यक्ष डॉ. नीरज सिंघल ने कहा कि हरिद्वार के व्यापारी और व्यापार को खत्म करने की साजिश चल रही है। लॉकडाउन से पहले यार्ड रिमॉडलिंग कार्य के चलते करीब तीन महीने ट्रेनें बंद रही। फिर कांवड़ मेले को स्थगित कर दिया गया। शहर में कुंभ के दृष्टिगत विद्युत लाइन भूमिगतीकरण आदि कार्यों के चलते भी व्यापारी परेशान रहे। अनलॉक पांच में व्यवस्थाएं पटरी पर आनी शुरू हुई तो अब छह महीने बाद दुकानों शटर खुले तो नहर बंदी की घोषणा कर दी गई। आज स्थिति यह है कि हरिद्वार के व्यापारियों के समक्ष भूखों मरने की नौबत आ गई है। जिला महामंत्री संजय त्रिवाल ने कहा कि नहर बंदी से पूर्व व्यापार मंडल पदाधिकारियों की राय भी लेनी चाहिए थी।
इन्होंने सिंचाई विभाग और कुंभ मेला प्रशासन से जल्द व्यापारियों की बैठक कर 30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा स्नान के बाद ही नहर बंदी घोषित किए जाने की मांग की। कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो खनन के इस खेल और गंगा बंदी की आड़ में करोड़ों रुपए का रेत बजरी बिना राजस्व के ठिकाने लगा दिया जाएगा। प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल इसका पुरजोर विरोध करेगा।
त्रिवाल ने कहा कि एक ओर पंद्रह अक्टूबर से ट्रेनें शुरू होने जा रही है वहीं दूसरी ओर नहर बंदी कर दी गई है। हरिद्वार के व्यापारियों की आस्था मां गंगा से जुड़ी है। विरोध करने वालो में दिनेश कुकरेजा,शोभित सिंघल, गोपालदास गोस्वामी, विशाल महेश्वरी, बिट्टू सांई, अतुल चौहान, अमन कुमार, महेंद्र कुमार,सुनील कुमार, सूरज कुमार, सुरेश शाह, राजीव शर्मा, दीपक, महेश कुमार, संजीव सक्सेना, शुभम चौहान, बाबू चौहान, पवन सुखीजा, नितेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
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