देहरादून नगर निगम में नाटकीय घटनाक्रम में खुला ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून नगर निगम में बुधवार को नाटकीय घटनाक्रम के तहत ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर मंजूर कर लिया गया। जांच समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोई भी कंपनी शर्तें पूरी नहीं कर रहीं इसके बावजूद टेंडर एक कंपनी को सौंप दिया।
जागरण संवाददाता, देहरादून। टेंडर के मामलों में नगर निगम ने दोबारा विवादों का इतिहास दोहरा दिया। ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर मंगलवार रात तक निरस्त करने की बात की जा रही थी लेकिन 12 घंटे बाद बुधवार की नाटकीय घटनाक्रम के तहत टेंडर मंजूर कर लिया गया। जांच समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोई भी कंपनी शर्तें पूरी नहीं कर रहीं, इसके बावजूद नगर निगम के अधिकारियों ने आनन-फानन में गुप्त बैठक कर बुधवार सुबह टेंडर एक कंपनी को सौंप दिया। पार्षद मामले में सांठगांठ का अंदेशा जता रहे हैं और मुख्य सचिव से मामले की शिकायत करने की बात कही है।
नगर निगम में पिछले कुछ सालों का यह रिकार्ड रहा है कि कोई टेंडर हुआ हो और उसमें सांठगांठ या विवाद न हुआ हो। चाहे वह होर्डिंग के टेंडर हों, पोकलैंड मशीन के या रिक्शा व कूड़ेदान खरीद के। गांधी पार्क के सौंदर्यीकरण से लेकर किड्स जोन बनाने व ओपन-जिम तक के टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत रही है। शहर में कूड़ा उठान करने को किराये पर लगने वाली ट्रैक्टर ट्राली का टेंडर बीते दो साल से तो ठीक रहा, लेकिन इस बार इसमें शुरुआत से ही सवाल उठने लगे थे। स्थानीय कंपनियों को हटाकर नगर निगम के कुछ अधिकारी बाहरी कंपनी को टेंडर देने की जुगत भिड़ाते रहे। यही कारण रहा कि टेंडर एक बार निरस्त किया गया व पिछले दिनों दूसरी बार निकाला गया। नगर निगम ने टेंडर में जो शर्तें रखी थीं, वह कोई भी कंपनी पूरी नहीं कर रही थी। इस मर्तबा टेंडर में पांच कंपनियों में से एक पहले दिन बाहर हो गई, जबकि बाकी चार के कागजों की जांच के नाम पर निगम अधिकारियों ने पांच दिन लगा दिए। टेंडर गत शुक्रवार को खोला जाना था, लेकिन निगम अधिकारियों ने इसे जांच के नाम पर मंगलवार तक नहीं खोला। यही नहीं, मंगलवार रात टेंडर जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट महापौर को सौंप दी और बताया कि कोई कंपनी खरी नहीं उतर रही। ऐसे में महापौर ने भी कहा था कि इस स्थिति में टेंडर निरस्त किए जाएंगे।
इस बीच बुधवार सुबह नाटकीय अंदाज में नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला ने निगम के अधिकारियों की बैठक बुलाई और टेंडर आवंटन के आदेश दिए। महज 12 घंटे में अंदरखाने पूरी पठकथा रचते हुए निगम के अधिकारियों ने फाइनेंशियल बिड अपलोड कर दी और दोपहर साढ़े 12 बजे टेंडर का आवंटन टिहरी की एक कंपनी के नाम कर दिया। उधर, शर्तें पूरी किए बिना टेंडर जारी करने पर भाजपा पार्षद अमिता सिंह समेत एक दर्जन पार्षदों ने निगम अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि नगर निगम प्रशासन ने मुख्य सचिव के नाम का हवाला देकर टेंडर जारी किया। ऐसे में अब मुख्य सचिव से मुलाकात कर हकीकत जानी जाएगी और निगम प्रशासन की शिकायत की जाएगी।
महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में मेरा कोई हस्तक्षेप नहीं है। मुझे यही बताया गया था कि कोई भी कंपनी निर्धारित शर्तें पूरी नहीं कर रही मगर गुरुवार सुबह नगर आयुक्त ने बताया कि ये मामला शासन के संज्ञान में है। जिस वजह से टेंडर निरस्त नहीं किए जा सकते। निगम प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी पर टेंडर खोला और आवंटन किया।
नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला का कहना है कि टेंडर नियमानुसार खोले गए हैं। जिस कंपनी को टेंडर आवंटन हुआ है, उसके दस्तावेज सही पाए गए हैं। कंपनी शर्तें भी पूरी कर रही। उसका रेट प्रति ट्रैक्टर ट्राली 2840 रुपये प्रतिदिन का है, जो शेष सभी कंपनियों से न्यूनतम रहा। निगम प्रशासन ने टेंडर के आवंटन में कोई अनियमितता नहीं बरती है।
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