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चारधाम में साल 2023 को 80 लाख तक पहुंच सकता है पर्यटकों का आंकड़ा

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही पर्यटकों की संख्या अच्छे संकेत लेकर आ रही है। सब ठीक रहा तो साल 2023 में चारधाम में पर्यटकों का आंकड़ा 80 लाख तक पहुंच जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 12:11 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 12:11 PM (IST)
चारधाम में साल 2023 को 80 लाख तक पहुंच सकता है पर्यटकों का आंकड़ा
चारधाम में साल 2023 को 80 लाख तक पहुंच सकता है पर्यटकों का आंकड़ा

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही पर्यटकों की संख्या अच्छे संकेत लेकर आ रही है। सब ठीक रहा तो साल 2023 में चारधाम में पर्यटकों का आंकड़ा 80 लाख तक पहुंच जाएगा। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज (सीडीएस) फाउंडेशन ने चारधाम क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के रुझान पर यह रिपोर्ट जारी की है।

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एसडीसी फाउंडेशन ने राज्य के चारों धाम और इससे लगते क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों के रुझान पर एक रिपोर्ट जारी की है। 'एनालाइजिंग द टूरिस्ट पैटर्न इन चारधाम रीजन ऑफ उत्तराखंड' शीर्षक से जारी रिपोर्ट केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ और उत्तरकाशी में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या को आधार बनाकर तैयार की गई है। 

रिपोर्ट भारतीय सांख्यिकी संस्थान बेंगलुरु की छात्रा अभिति मिश्रा ने एसडीसी के सह संस्थापक आशुतोष कंडवाल के मार्गदर्शन में तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में चारधाम यात्रा क्षेत्र में 55 लाख पर्यटक पहुंचेंगे, जबकि 2023 में पर्यटकों की संख्या 80 लाख पहुंचने की संभावना है। 

अभिति ने बताया कि 2012 में सर्वाधिक 55.3 लाख पर्यटक उत्तराखंड आए थे, 2013 की आपदा के बाद पर्यटकों की संख्या में 93 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 2014 में मात्र 8.4 लाख पर्यटक ही चारधाम पहुंचे। यह पिछले 19 वर्षों की सबसे कम संख्या थी। 

इसके बाद के सालों में धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई और 2016 से 2018 के बीच पर्यटकों की संख्या में 18 फीसद का उछाल देखा गया। हालांकि उत्तराखंड में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत कम है। यह संख्या कभी भी एक प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ पाई।

कचरा प्रबंधन के लिए उठाए जाएं कदम

सीडीएस के सह संस्थापक आशुतोष कंडवाल ने कहा कि प्रदेश में पर्यटकों की संख्या तो बढ़ जाएगी, लेकिन प्रदेश इसके लिए तैयार नहीं है। पर्यटकों की संख्या बढ़ जाने से यहां व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। सबसे बड़ी समस्या  कचरा है। कचरा प्रबंधन के लिए प्रदेश में पुख्ता व्यवस्था नहीं है। 

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इसके चलते पर्यटकों के साथ प्रदूषण भी बढ़ रहा है। सरकार, नीति निर्माताओं और जिला प्रशासन को मिलकर कूड़ा प्रबंधन के लिए बेहतर नीति और निस्तारण व्यवस्था लागू करनी होगी। जिससे पर्यटन बढ़ने के साथ ही पर्यावरण का भी ध्यान रखा जा सके।

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