Toilet Day 2020: देहरादून के चार गांव ओडीएफ प्लस श्रेणी में शामिल, पढ़िए पूरी खबर
खुले में शौच मुक्त प्लस ओडीएफ प्लस में दून के चार गांव शामिल हो गए हैं। इसमें दुधई रामपुर सौड़ और डोईवाला शामिल हैं। चारों गांवों में सुलभ शौचालय तो स्थापित हैं ही साथ ही सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट भी तैयार किया जा रहा है।
देहरादून, जेएनएन। Toilet Day 2020 स्वच्छ भारत मिशन के तहत चलाई जा रही मुहिम खुले में शौच मुक्त प्लस, ओडीएफ प्लस में दून के चार गांव शामिल हो गए हैं। इसमें दुधई, रामपुर, सौड़, और डोईवाला शामिल हैं। चारों गांवों में सुलभ शौचालय तो स्थापित हैं ही, साथ ही सॉलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट भी तैयार किया जा रहा है। दून के ही 70 और गांव जल्द ओडीएफ प्लस श्रेणी में शामिल होने जा रहे हैं। खुले में शौच मुक्त होने के साथ वेस्ट मैनेजमेंट के लिए उठाए गए यह कदम दून के लिए बड़ी उपलब्धि हैं।
देहरादून के भाऊवाला स्थित रामपुर की प्रधान रमा थापा से शौचालय दिवस के मौके पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उनकी इस उपलब्धि को लेकर संवाद भी करने जा रहे हैं। जिला विकास अधिकारी एवं स्वजल मिशन के परियोजना प्रबंधक सुशील मोहन डोभाल ने बताया कि साल 2017 में दून खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है। अब हर ग्राम पंचायत को ओडीएफ प्लस श्रेणी में लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक दून के चार गांव इसमें शामिल भी हो चुके हैं और 70 गांवों में कार्य प्रगति पर है। 181 नई ग्राम सभाओं से भी इसके लिए प्रस्ताव आ चुके हैं, जिन पर जल्द काम शुरू हो जाएगा।
मंजिल अब भी दूर: तीन साल पहले दून खुले में शौच मुक्त जरूर घोषित हो गया है, लेकिन अब भी कई परिवार हैं, जिनके पास अपने शौचालय नहीं है। हर साल इनकी संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। दरअसल, ये वे लोग हैं जो अपने बड़े परिवारों से अलग होकर रहने लगते हैं। दून की विभिन्न ग्राम सभाओं के करीब 300 ऐसे प्रस्ताव अभी बजट की कमी के चलते लंबित पड़े हैं। केंद्र सरकार की ओर से इसी साल मार्च महीने में ओडीएफ प्लस के लिए मानक एवं गाइडलाइन बदल दी गई है।
विभागीय अधिकारियों का मानना है कि गाइडलाइन बदलने और कोरोना के चलते काम धीमा पड़ गया है। गाइडलाइन बदलने के बाद से 219 नए प्रस्ताव आ गए हैं।
ओडीएफ प्लस में शामिल होने के लिए नए मानक
- खुले में शौच पर पूर्ण पाबंदी
- ग्राम पंचायत में कम से कम एक सामुदायिक शौचालय हो
- स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र एवं पंचायती घर में क्रियाशील शौचालय हो
- स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्र पर बालक-बालिकाओं के लिए अलग शौचालय हो
- सामूहिक स्थानों पर जैविक या अजैविक कूड़ा या नाले में पानी एकत्रित न हो
- गांव में कूड़ा निस्तारण के लिए कूड़ेदान या गड्ढे बने हों
- सामुदायिक या व्यक्तिगत गोबर गड्ढे या बायो गैस प्लांट हो
- गांव में प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर बना हो
- गांव में पांच मुख्य स्थानों पर स्वच्छता स्लोगन लिखे हों
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