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सावन का पहला सोमवार आज, कई मंदिरों में नही होगा जलाभिषेक

अद्भुत संयोग के साथ शुरू हो रहे सावन माह का आज पहला सोमवार है। आज शहर के शिवालयों में शारीरिक दूरी बनाकर पूजा की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 08:59 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:10 AM (IST)
सावन का पहला सोमवार आज, कई मंदिरों में नही होगा जलाभिषेक
सावन का पहला सोमवार आज, कई मंदिरों में नही होगा जलाभिषेक

जागरण संवाददाता, देहरादून: अद्भुत संयोग के साथ शुरू हो रहे सावन माह का आज पहला सोमवार है। आज शहर के शिवालयों में शारीरिक दूरी बनाकर पूजा की जाएगी। हालाकि, कई मंदिरों में इस बार जलाभिषेक की पाबंदी रहेगी। मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं को घर से ही लोटा लेकर आना होगा। बेलपत्र और प्रसाद चढ़ाने, मूíतयों को छूने, तिलक लगाने की भी पाबंदी है। रविवार को देर शाम तक मंदिरों को सजाने और कोरोनाकाल में सावधानी को देखते हुए व्यवस्था बनाई गई है। मंदिरों के बाहर गोले बनाए गए हैं, घटियों को कपड़े से बाधा गया है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गेट पर सेनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। साथ ही शारीरिक दूरी का पालन करने समेत जरूरी एहतियात बरतने को लेकर मंदिरों के बाहर पोस्टर चस्पा किए गए हैं।

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सावन महीने में शिवालयों में जलाभिषेक का विशेष महत्व है और सोमवार को जल चढ़ाने की महत्ता काफी बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस दिन जल चढ़ाने से मनवाछित फल मिलता है। श्रद्धालु व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना के साथ जलाभिषेक करते हैं। इस बार सावन माह में पाच सोमवार हैं। तीन व्रत कृष्ण पक्ष और दो शुक्ल पक्ष में हैं। मैदानी क्षेत्रों में छह जुलाई जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में 13 जुलाई से सावन शुरू होगा, जो तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर संपन्न होगा। पंडित भरतराम तिवारी बताते हैं कि इस महीने सभी सोमवार व्रत रखने से भगवान भोले की कृपा बरसती है। इसलिए मनोकामना पूरी होने के लिहाज से इस महीने को पवित्र माना गया है। उधर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर, टपकेश्वर महादेव, सनातन धर्म मंदिर, जंगम शिवालय में पूरी तैयारिया की गई। पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर के दिगंबर दिनेश पुरी ने बताया कि मंदिर को सजाया गया है। जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं को अपने घर से पात्र लेकर आना होगा। जंगम शिवालय के 108 महंत कृष्णगिरी महाराज ने बताया कि टपकेश्वर महादेव मंदिर और जंगम शिवालय पलटन बाजार में जल चढ़ाने वाले पात्र को फिटकरी के पानी में रखे जाएंगे। यहा से श्रद्धालु पात्र उठाकर उसमें पानी भरकर जलाभिषेक कर सकेंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं से शारीरिक दूरी का पालन करने की अपील की।

कमलेश्वर महादेव मंदिर और सनातन धर्म मंदिर में नहीं चढ़ेगा जल

जीएमएस रोड स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर केमीडिया प्रभारी अजय कात ने बताया कि कोरोनाकाल के चलते सावन पर इस बार मंदिर में जल नहीं चढ़ेगा। श्रद्धाल भगवान के दर्शन कर सकते हैं। वहीं, सनातन धर्म मंदिर नेहरू कॉलोनी के कोषाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम त्यागी ने बताया कि मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से जलाभिषेक न करने की अपील की है। शहर के शिवालयों में विशेष है जंगम शिवालय

शहर के बीच बसे पलटन बाजार स्थित जंगम शिवालय शहर के प्रमुख शिवमंदिरों में शुमार है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिवाणी के अधीन संचालित इस शिवालय का इतिहास बहुत पुराना हैं। शिवालय के महंत 108 कृष्ण गिरि महाराज बताते हैं कि आज से करीब 184 साल पहले इस जगह पर अंग्रेजों ने पूजा होती देखी तो खुश होकर उन्होंने मंदिर के लिए जगह उपलब्ध करवाई। लिंगायत शैव संप्रदाय में दीक्षित जंगम बाबा ने यहा सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना की। बाबा के नाम पर ही इस शिवालय का नाम श्री जंगम शिवालय पड़ा। मान्यता के अनुसार गढ़ी कैंट स्थित श्री टपकेश्वर महादेव के जलाभिषेक करने के बराबर ही यहा फल मिलता है। शिवालय में हर दिन भगवान शिव के जलाभिषेक को भक्त पहुंचते हैं। लेकिन, श्रावण मास में भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है।

शिव की महिमा और सावन का महत्व

सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है। पूर्णमासी को श्रवण नक्षत्र का योग होने के कारण यह मास श्रावण कहलाता है। इस मास की संपूर्ण कला केवल ब्रह्मा जी ही जानते हैं। इस मास के पूरे तीस दिन जप, तप, व्रत व पुण्य कार्यो के लिए उत्तम माने गए हैं। शिवजी को यह मास सर्वाधिक प्रिय है। पुराणों के अनुसार सावन में भगवान शिव की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समíपत रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से, मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। इस माह में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। इसलिए इस माह में, खासतौर पर सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से शिव भगवान की कृपा बरसती है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं और अंत में भाग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में समíपत किया जाता है।


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