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वैज्ञानिक तकनीक से बढ़ाएं गेहूं की पैदावर

जागरण संवाददाता, विकासनगर: पछवादून में धान की फसल कटने के बाद किसान खाली हुए खेतों को

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 08:59 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 08:59 PM (IST)
वैज्ञानिक तकनीक से बढ़ाएं गेहूं की पैदावर
वैज्ञानिक तकनीक से बढ़ाएं गेहूं की पैदावर

जागरण संवाददाता, विकासनगर: पछवादून में धान की फसल कटने के बाद किसान खाली हुए खेतों को गेहूं की खेती के लिए तैयार कर रहे हैं। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने किसानों को बेहतर उत्पादन के गुर बताए हैं। कहा कि यदि गेहूं के बुआई के दौरान वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जाए तो मनमाफिक पैदावर प्राप्त होगी।

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देहरादून जिले में साढ़े 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पर्वतीय, मैदानी, तराई व घाटी क्षेत्रों में गेहूं की खेती की जाती है, जिसमें से सात हजार हेक्टेयर जमीन वह होती है, जो धान की फसल कटने के बाद खाली हुए खेतों को तैयार करने के बाद बोई जाती है। फसल चक्र में गेहूं की उपज कम मिलने के कारणों में बड़ा कारण मिटटी की उवर्रक शक्ति का गिरता स्तर है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि कई बार किसान क्षेत्र विशेष के लिए अनुमोदित किस्मों का चयन नहीं करते। बुआई की विधि, खाद व उवर्रक का अंसुतिलत प्रयोग, खरपतवार प्रबंधन भी ठीक न होने का सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। यदि किसान अच्छी प्रजाति अपनाए तो 20 से 25 प्रतिशत, उर्वरक प्रबंधन सही हो तो 40 प्रतिशत तक अधिक उपज संभव है। वैज्ञानिक ने सलाह दी कि किसान गेहूं बुआई के दौरान जमीन में पर्याप्त नमी रखें, धान से खाली हुए खेतों में पचास किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर बिखेरकर सूखे में जुताई करें और पलेवा लगा दें। वैज्ञानिक ने बताया कि नवंबर का माह गेहूं बुआई के लिए बेहतर है।

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बेहतर उपज के लिए जरूरी

-खेत की मिटटी का परीक्षण कराकर सिफारिश के अनुसार खाद व उर्वरक की मात्रा का प्रयोग करें।

-सामान्य दशा में धान गेहूं फसल चक्र में प्रति हेक्टेयर 75 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस, 40 किग्रा. पोटाश, 25 किग्रा. ¨जक सल्फेट को बुआई के समय खेत में डालें। जिन खेतों में गंधक की कमी हो तो तीस किग्रा गंधक प्रति हेक्टेयर बुआई के समय दें।

-घाटी क्षेत्रों में गेहूं की जल्दी बुआई के लिए यूपी 2572, यूपी 2584, यूपी 2338, समय से बुआई के लिए यूपी 2425, यूपी 2565, यूपी 2526 प्रजातियां उपयुक्त हैं। जबकि तराई व मैदानी क्षेत्रों में गेहूं की बुआई नवंबर माह में कर लें, जिसके लिए यूपी 2628, यूपी 2684, यूपी 2784, एचडी 3086, डब्ल्यू एच 1105 प्रजातियां उपयुक्त हैं। तराई व मैदानी क्षेत्रों में विलंब से बुआई 25 दिसंबर तक की जा सकती है, जिसके लिए यूपी 2565, यूपी 2748, डीबी डब्ल्यू 16, राज 3765, पर्वतीय क्षेत्र में 1700 मीटर से नीचे देरी से बुआई के लिए गेहूं की बीएल 892, एचएस 490, एचएस 420 का चुनाव करने पर उपज अच्छी होती है।

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बीज की मात्रा

स्वस्थ व प्रमाणित बीज की समय से बुआई करने पर 100 किग्रा. व विलंब से 125 किग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज का प्रयोग करें। बुआई फर्टी सीड ड्रिल या देशी हल से लाइनों में करें। बुआई से पूर्व विटावैक्स की 25 ग्राम मात्रा से एक किलो गेहूं का बीज उपचारित करें। बुआई के समय एनपी के तरल जैव उर्वरक की एक लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर प्रयोग कर सकते हैं। वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि यदि किसान बुआई के बाद खरपतवारनाशी का स्प्रे करें तो अंकुरण बेहतर होता है।


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