लाकडाउन के वक्त घरों में ऑनलाइन स्टार्टअप प्रमोशन का समय
उद्योग निदेशालय ने भी उन स्टार्टअप से जुड़े युवाओं को अपने स्टार्टअप को गति देने को कहा है जो हाल ही में फिनाले जीते हैं।
देहरादून, अशोक केडियाल। कोरोना वायरस संक्रमण से प्रदेश को बचाने के लिए 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। ऐसे में अधिकतर शिक्षा संस्थान अपने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं। एसाइनमेंट भी उन्हें घर पर भेजे जा रहे हैं। उद्योग निदेशालय ने भी उन स्टार्टअप से जुड़े युवाओं को अपने स्टार्टअप को गति देने को कहा है, जो हाल ही में फिनाले जीते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज में हुए उत्तराखंड स्टार्टअप फिनाले में 10 युवा विजेता चुने गए थे। विजेताओं को सरकार की ओर से 50-50 हजार का पुरस्कार दिया गया था। इन विजेता स्टार्टअप को उद्योग उपनिदेशक राजेंद्र कुमार ने सलाह दी है कि वह अपने घरों में ऑनलाइन स्टार्टअप पर ज्यादा ध्यान दें। साथ ही अपने स्टार्टअप में कुछ और नवाचार जोड़ें। अभी तक प्रदेश में 71 स्टार्टअप सरकारी मान्यता प्राप्त हैं। जिनसे डिग्री कॉलेज के छात्रों से लेकर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र-छात्रएं जुड़े हैं।
छात्रों की बढ़ी जिम्मेदारी
दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में उच्चशिक्षा प्राप्त युवाओं की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। वह नियमों का खुद भी पालन करें और अन्य को भी समझाएं। लेकिन देखने में आ रहा है कि युवा ही सबसे अधिक लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं। सुबह से शाम तक की चौक-चौराहों पर युवा पुलिस से उलझ रहे हैं। जबकी पुलिस हमारी ही सुरक्षा के लिए ही सड़कों पर तैनात है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक युवाओं से आह्वान रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे। संकट कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इटली में हो रही मौतों से लगाया जा सकता है। हम अपनी मौज-मस्ती से अभी बाज नहीं आए तो संभलने का समय भी नहीं मिलेगा। युवा देश का भविष्य हैं। देश को जोखिम में डालने से बचाना भी उन्हीं की जिम्मेदारी है। पढ़े-लिखे युवाओं को लाठियों के बल पर हांकना ठीक भी नहीं है।
अन्य को प्रेरणादायक दान
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सबकुछ ठप है। ऐसे में सभी को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। विपत्ति की घड़ी में कई शिक्षक सरकार के सहयोग को आगे आ रहे हैं। ये शिक्षक अन्य के लिए प्रेरणास्नोत बनते जा रहे हैं। अभी तक उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, वानिकी विवि भरसार, उत्तराखंड मुक्त विवि के साथ-साथ ग्राफिक एरा संस्थान सहयोग को आगे आएं हैं। ग्राफिक एरा की ओर से सरकार को 11 हजार खाने की पैकेट दिए जा रहे हैं, ताकि गरीबों को भोजन उपलब्ध हो सके। प्रदेश में कॉलेज व विवि की संख्या सैकड़ों में है और दानवीर चंद लोग हैं। जबकि ऐसे समय में अधिक से अधिक सक्षम लोगों को दिल खोलकर दान देना चाहिए। आखिर कमाने के लिए सबके सामने जीवनभर का समय पड़ा है। दान करने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त है। आपकी सहायता किसी गरीब का पेट भर सकती है।
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घर से मूल्यांकन जरूरी
लॉकडाउन के दौरान कॉलेज और विश्वविद्यालय छात्रों को लेकर चिंतित दिखाई दे रहे हैं, हालांकि कुछ संस्थान प्रबंधन छुट्टियों का आनंद ले रहे हैं। अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीन इन संस्थानों के सामने श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति शानदार उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। कुलपति डॉ. पीपी ध्यानी की रॉय है कि यदि लॉकडाउन लंबा चला तो शिक्षक घर में ही परीक्षा कॉपी का मूल्यांकन कर सकते हैं। ताकि अप्रैल में संस्थान खुलते ही आगे की पढ़ाई की जा सके। हालांकि घर पर शिक्षकों को परीक्षा की कॉपियों को कैसे भेजें इसपर मंथन हो रहा है। कोरोना को रोकने के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी है, ऐसे में प्रत्येक शिक्षक के दरवाजे पर विवि छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को पहुंचाना आसान नहीं है। फिर भी कुलपति की यह पहल सार्थक प्रयास है। काम थोड़ा जटिल है, लेकिन विवि स्तर पर शिक्षक कुलपति से समन्वय बनाकर मूल्यांकन कार्य कर ही सकते हैं।
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