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यहां रिवेंज किलिंग का शिकार बन रहे हैं बाघ, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में बाघ रिवेंज किलिंग का शिकार हो रहे हैं। इसका खुलासा इस साल मई में हुई बाघिन की मौत के मामले की अंतरिम जांच रिपोर्ट में हुआ है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 08:39 PM (IST)
यहां रिवेंज किलिंग का शिकार बन रहे हैं बाघ, पढ़िए पूरी खबर
यहां रिवेंज किलिंग का शिकार बन रहे हैं बाघ, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, [केदार दत्त]: राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण में कर्नाटक (403) के बाद दूसरे स्थान पर मौजूद उत्तराखंड (362) में बाघ प्रतिशोध की भावना (रिवेंज किलिंग) का शिकार हो रहे हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार वन प्रभाग की श्यामपुर रेंज में इस साल मई में हुई बाघिन की मौत के मामले की अंतरिम जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

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आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजी 88 पृष्ठों की अंतरिम जांच रिपोर्ट में इस मामले में कार्यवाही के लिए जल्द से जल्द सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश की है। साथ ही यह सुझाव भी दिया है कि संरक्षित क्षेत्रों से इतर जिन वन प्रभागों में बाघ हैं, वहां इनकी सुरक्षा को प्रभावी कदम उठाने के मद्देनजर पृथक सेल का गठन भी किया जाए।

71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के संरक्षित और आरक्षित वन क्षेत्रों में मौजूद वन्यजीव निश्चित रूप से देश-दुनिया में राज्य को अलग पहचान दिलाते हैं, मगर ये भी सच है कि इनकी सुरक्षा को लेकर अभी बहुत कुछ होना बाकी है। मनुष्य और वन्यजीव दोनों महफूज रहें, इस लिहाज से कदम उठाने की दरकार है और इसी मोर्चे पर हीलाहवाली का आलम है।

नतीजतन, शिकारियों-तस्करों के बाद रिवेंज किलिंग की दोहरी मार वन्यजीवों पर पड़ रही है। खासकर बाघ व गुलदारों के मामले में। मनुष्यों और मवेशियों पर हमले की घटनाओं के मद्देनजर बदला लेने की नीयत से भी इनकी हत्या होने लगी है। कहीं जहर देकर तो कहीं करंट और कहीं इन जानवरों को घेरकर मार डालने की बातें कई मौकों पर सामने आई हैं, मगर सुबूतों के अभाव में बात आई-गई होती रही।

अब हरिद्वार वन प्रभाग की श्यामपुर रेंज में हुई बाघिन की मौत के मामले में रिवेंज किलिंग की पुष्टि हुई है। दरअसल, बीती 10 मई को श्यामपुर रेंज के कक्ष पांच में दो साल की बाघिन का शव मिला था। इसे लेकर खूब बवाल मचा तो 18 मई को विभाग ने प्रकरण की जांच तेजतर्रार माने जाने वाले आइएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सौंप दी। उन्होंने गहन जांच पड़ताल के बाद अपनी अंतरिम जांच रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेज दी है।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रकरण में सामने आए तथ्यों, बयानों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के विश्लेषण से साफ है कि बाघिन की मौत प्राकृतिक, बीमारी, आपसी संघर्ष व किसी अन्य वन्यजीव के आक्रमण से न होकर, सुनियोजित प्रकार से मानवजन्य है। जांच पड़ताल में बाघिन की इरादतन हत्या की पुष्टि होती है। यह भी उल्लेख है कि इस क्षेत्र में जून 2017 से जनवरी 2018 तक 17 पालतू पशु बाघों ने मारे। 10 मई को जिस जगह बाघिन का शव मिला, उससे डेढ़ सौ मीटर के फासले पर एक भैंस मृत मिली थी। रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला प्रतिशोधात्मक हत्या का प्रतीत होता है, जो वन्यजीव अपराध संरक्षण अधिनियम में अपराध है। सिफारिश की गई है कि मामले में अगली कार्यवाही के लिए सक्षम अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

जांच रिपोर्ट में बाघ सुरक्षा के मद्देनजर कई सुझाव भी दिए गए हैं। इनमें सबसे अहम ये कि संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क, सेंचुरी) से इतर जिन वन प्रभागों में बाघ हैं, वहां बाघ सुरक्षा के लिए समुचित मानवीय, वित्तीय व भौतिक संसाधन मुहैया कराए जाएं। ऐसे क्षेत्रों में डीएफओ कार्यालय में अलग से सेल गठित किए जाएं, ताकि बाघों के संबंध में आंकड़े संकलित करने के साथ ही उनके संरक्षण व सुरक्षा को एकीकृत कार्यवाही की जा सके।

बाघ सुरक्षा को ये भी सुझाव

-जिन वन प्रभागों में बाघ हैं, वहां मुखबिर तंत्र को सशक्त व व्यापक बनाया जाए।

-वन्यजीव अपराधों की दृष्टि से संदिग्ध लोगों को निगरानी रखी जाए।

-डीएफओ व वन्यजीव शाखा के सक्षम अधिकारियों को इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत शक्तियां दी जाएं।

-सुरक्षा के मद्देनजर बीटों को पुनर्गठन कर इनके क्षेत्रफल को कम किया जाए।

-मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रकरणों का समयबद्ध ढंग से निस्तारण किया जाए।

कर्इ घोटालों का पर्दाफाश कर चुके हैं संजीव चतुर्वेदी 

भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी वर्तमान में उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान वृत्त हल्द्वानी में वन संरक्षक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले 2012 से 2014 तक एम्स नई दिल्ली में चीफ विजिलेंस ऑफिसर के रूप में कार्य किया और 150 से अधिक घोटालों का पर्दाफाश किया। यही नहीं, हरियाणा में सेवाकाल के दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार कई मामले खोले। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संजीव चतुर्वेदी अब तक कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। 

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