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उत्तराखंड-नेपाल के संयुक्त प्रयासों से नंधौर में बाघ संरक्षण

राज्य की नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में 'ट्रांस बाउंड्री टाइगर कंजर्वेशन' कार्यक्रम केे तहत बाघों का संरक्षण भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून व जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन करेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 02:27 PM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2017 09:04 PM (IST)
उत्तराखंड-नेपाल के संयुक्त प्रयासों से नंधौर में बाघ संरक्षण
उत्तराखंड-नेपाल के संयुक्त प्रयासों से नंधौर में बाघ संरक्षण

देहरादून, [केदार दत्त]:  नेपाल सीमा से सटी उत्तराखंड (भारत) की नंधौर वाइल्डलाइफ सेंचुरी में अब 'ट्रांस बाउंड्री टाइगर कंजर्वेशन' कार्यक्रम के तहत बाघों का संरक्षण किया जाएगा। वर्तमान में 35 बाघों वाली इस सेंचुरी में इसका जिम्मा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून व जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन को सौंपा गया है। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) ने 22 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। बाघ संरक्षण के साथ ही सेंचुरी से लगे गांवों में इको टूरिज्म, ग्राम पर्यटन, क्षमता विकास, एंटी पोचिंग व रेसक्यू, वन्यजीवों से बचाव को क्विक रिस्पांस टीमों का गठन समेत अन्य बिंदुओं पर भी कार्य होगा। वहीं, इस पहल को राज्य के तीसरे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की कड़ी के तौर पर भी देखा जा रहा है। नंधौर रिजर्व के प्रस्ताव को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) पहले ही सैद्धांतिक सहमति दे चुका है। 

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'ट्रांस बाउंड्री टाइगर कंजर्वेशन' कार्यक्रम के अंतर्गत भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों से बाघ संरक्षण के कार्य संचालित किए जाते हैं। इसमें आइयूसीएन मदद करता है। उत्तराखंड के प्रमुख वन सरंक्षक (वन्यजीव) डीवीएस खाती के मुताबिक  भारत की सीमा से सटे नेपाल के संरक्षित क्षेत्रों में दो साल पहले यह पहल शुरू हो गई थी, अब नंधौर सेंचुरी (उत्तराखंड) में इसे लागू किया गया है। इसके लिए बजट भी आवंटित हो चुका है। उन्होंने कहा कि सेंचुरी में बाघ संरक्षण के कार्यों को गति देने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान व जूलॉजिकल सोसायटी आफ लंदन कार्मिकों को प्रशिक्षण देंगे। इसके साथ ही प्रथम चरण में सेंचुरी से लगे पांच गांवों में वन्यजीवों से बचाव को क्विक रिस्पांस टीमों के गठन के साथ ही रोजगारपरक कार्यक्रमों के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षित किया जाएगा। 

उधर, नंधौर सेंचुरी में इस पहल के परवान चढ़ने पर इसे राज्य के तीसरे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की कड़ी के तौर पर देखे जाने से विभागीय अधिकारी इन्कार भी नहीं कर रहे। आपको बता दें कि कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण में मिली सफलता के बाद 2016 में राज्य में दो नए टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा गया था। 

इसके तहत हल्द्वानी, तराई पूर्वी व चंपावत वन प्रभागों के कुछ हिस्सों को मिलाकर 2012 में बनी नंधौर सेंचुरी के अलावा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उत्तराखंड में स्थित बफर जोन सुरई रेंज (तराई पूर्वी वन प्रभाग) को टाइगर रिजर्व के रूप में तब्दील करने की बात कही गई। एनटीसीए से इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति भी मिल चुकी है। अब इन मसलों को फिर से स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। विशेषज्ञ समिति इनके सीमांकन आदि का परीक्षण करने के साथ ही जन सुझाव लेकर रिपोर्ट देगी और फिर सरकार अधिसूचना जारी करेगी।

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