दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके कर्नाटक बोले, शिक्षा का अर्थ केवल अक्षरज्ञान नहीं
एससीईआरटी के तत्वावधान में स्कूली शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है।
By Edited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 03:58 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। राज्य शैक्षिक और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी)के तत्वावधान में 'स्कूली शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता' विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है। सम्मेलन में मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके कर्नाटक ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल अक्षरज्ञान नहीं बल्कि आपसी सामंजस्य, भाईचारा, धार्मिक सौहार्द, देशप्रेम जैसे मानव मूल्यों का विकास करना है।
रिंग रोड स्थित होटल में आयोजित सम्मेलन में दून विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि वर्तमान में शिक्षकों के समक्ष कई नई चुनौतियां हैं। क्योंकि बच्चा गूगल पर चेक कर सकता है कि शिक्षक क्या पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। पर अन्य भाषाएं सीखने की ललक भी समान रूप से होनी चाहिए। इससे ज्ञान का दायरा भी बढ़ेगा। अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा नवनीत चीमा ने कहा कि सूचना सम्प्रेषण तकनीक के इस दौर में शिक्षण के तौर तरीकों में भी बदलाव आया है।
उत्तराखंड के विद्यालयों में वर्चुअल क्लास की अवधारणा इसी दिशा में एक प्रयास है। निदेशक अकादमिक शोध और प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने कहा कि अनुभवों की साझेदारी एक लाभप्रद प्रक्रिया है। इसलिए विभिन्न राज्यों के अनुभवों से लाभ प्राप्त करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन शिक्षा और शिक्षण प्रशिक्षण को लक्ष्य आधारित बनाने और उन्हें समृद्ध करने में सहायक सिद्ध होगा। अपर निदेशक अजय नौडियाल ने कहा कि सम्मेलन शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने की दृष्टि से उपयोगी साबित होगा।
सम्मेलन में शिक्षा निदेशक आरके कुंवर, अपर निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती, वीरेंद्र सिंह रावत, रामकृष्ण उनियाल, शशि चौधरी, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, डॉ. आनंद भारद्वाज, उप निदेशक पुष्पारानी वर्मा, प्रदीप रावत, राय सिंह रावत, हिमानी बिष्ट, वीरेंद्र सिंह रावत आदि उपस्थित रहे। क्रियात्मक शोध पर सर्टिफिकेट कोर्स एससीईआरटी तमिलनाडु की उप निदेशक डॉ. शमीम एस ने शैक्षिक उन्नयन के लिए अपने राज्य में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए क्रियात्मक शोध पर सर्टिफिकेट कोर्स चलाए जा रहे हैं।
वहीं, एससीईआरटी ने सभी पुस्तकों पर क्यूआर कोड दिया है, जिससे बच्चे इन्हें डिजिटल फॉर्मेट में भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा सभी कक्षाओं के लिए शिक्षक हस्तपुस्तिका तैयार की गई है। साथ ही तमिल भाषा में विज्ञान शब्दकोष और स्मार्ट कक्षाओं का भी संचालन किया जा रहा है। अंग्रेजी का कौशल बढ़ाने के लिए माड्यूल के माध्यम से शिक्षकों का प्रशिक्षण चलाया जा रहा है। 'वाइटल' (वैल्यू इंटीग्रेटेड टीचिंग एंड लर्निग) कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है। एससीईआरटी कर्नाटक के उप निदेशक एन कैंचेगोड़ा ने भी विभिन्न नवाचारी प्रयासों की जानकारी दी।
स्पष्ट होना चाहिए सूचना और ज्ञान का अंतर एससीईआरटी उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने कहा कि बदलती शैक्षिक परिस्थितियों में सूचना और ज्ञान का अंतर स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीखना सृजन का विषय है, स्थानांतरण का नहीं। संयुक्त निदेशक कुलदीप गैरोला ने शैक्षिक गुणवत्ता के लिए चलाए जा रहे समस्त कार्यक्रमों की जानकारी दी। कुलपति का दिखा बेबाक अंदाज सम्मेलन में दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके कर्नाटक का बेबाक अंदाज नजर आया। उन्होंने कहा कि कई कुलपति सरकार के पिछलग्गू बने रहते हैं, पर विश्वविद्यालय स्वयत्त संस्था है। ऐसे में कुलपति को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, जिससे वह कभी पीछे नहीं हटते।
शिक्षा के बाजारीकरण पर उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा को ग्लैमराइज कर दिया गया है। कई भू और खनन माफिया भी आज शिक्षण संस्थान चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि धिक्कार है ऐसी शिक्षा पर जो पैसे से मिलती है। क्योंकि शिक्षा पैसा नहीं बल्कि जीवन में मूल्यों का महत्व समझाती है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों का उदाहरण देते उन्होंने कहा कि इसे मॉडल के रूप में अपनाना चाहिए। बच्चों से अत्याधिक अपेक्षा रखने वाले अभिभावकों को भी उन्होंने आगाह किया। कहा कि कटऑफ के चक्कर में मत पड़ना, वरना बच्चा 'कटऑफ' हो जाएगा। युवाओं में बढ़ती नशाखोरी व मूल्यों की गिरावट के लिए 'फ्री फ्लो ऑफ मनी' को जिम्मेदार बताया।
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