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पति को मृत बताकर रचाई दूसरी शादी, कोर्ट ने सुनाई सजा Dehradun News

जिंदा पति को मृत बताकर दूसरी शादी रचाने वाली महिला को सिविल जज सीनियर डिविजन ने तीन वर्ष का कारावास की सजा सुनाई। साथ ही महिला पर 60 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 10:50 AM (IST)
पति को मृत बताकर रचाई दूसरी शादी, कोर्ट ने सुनाई सजा Dehradun News
पति को मृत बताकर रचाई दूसरी शादी, कोर्ट ने सुनाई सजा Dehradun News

ऋषिकेश, देहरादून। जिंदा पति को मृत बताकर दूसरी शादी रचाने वाली महिला को सिविल जज सीनियर डिविजन ने तीन वर्ष का कारावास की सजा सुनाई। साथ ही महिला पर 60 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया। 

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इस मामले में ऋषिकेश निवासी गौरव कालड़ा ने वर्ष 2018 में ऋषिकेश कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके मुताबिक डिप्टीगंज मुरादाबाद निवासी ज्योति अरोड़ा ने तीन सितंबर 2014 को ऋषिकेश निवासी गौरव कालड़ा के साथ यह बताकर दूसरी शादी की थी कि उसके पहले पति की मृत्यु हो चुकी है। 

शादी के कुछ समय बाद दोनों के बीच अनबन रहने लगी। इसके बाद ज्योति अरोड़ा ने गौरव कालड़ा के खिलाफ परिवार न्यायालय मुरादाबाद में दहेज उत्पीड़न व मारपीट जैसे आरोपों में मुकदमा दर्ज कराया। हालांकि, यह मुकदमा न्यायालय ने खारिज कर दिया था। 

इधर, घरेलू विवाद की स्थिति में ऋषिकेश कोतवाली की महिला हेल्प लाइन में जब पुलिस ने दोनों की काउंसिलिंग कराई गई तो पता चला कि ज्योति अरोड़ा ने गौरव कालड़ा को धोखे में रखकर शादी की थी। ज्योति अरोड़ा का पहला पति जीवित है। उसके साथ ज्योति का विवाह आठ जुलाई 1999 को हुआ था।

आरोप है कि ज्योति अरोड़ा ने उसे मृत घोषित करने के लिए श्मशान से पति के अंतिम संस्कार के लिए क्रय गई लकड़ी की रसीद व मुरादाबाद नगर निकाय के पार्षद के लेटर पैड पर बना प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। कोतवाली पुलिस ने आरोपित ज्योति अरोड़ा को इस मामले में वर्ष 2018 में गिरफ्तार कर चार्जशीट न्यायालय में पेश की थी। यह मामला सिविल जज सीनियर डिविजन यूपी सिंह की अदालत में विचाराधीन था। 

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने ज्योति अरोड़ा को दोषी करार देते हुए आइपीसी की धारा 494 (पति के जीवित रहते दूसरी शादी करना) में दो वर्ष कारावास व दस हजार रुपये अर्थदंड, धारा 420 (धोखाधड़ी) में दो वर्ष कारावास व दस हजार रुपये अर्थदंड, धारा 468 (कूटरचना) में तीन वर्ष कारावास व बीच हजार रुपये अर्थदंड तथा धारा 471 (कूटरचित दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग में लाना) के आरोप में तीन वर्ष कारावास व बीस हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

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