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उत्‍तरकाशी: कंकराड़ी गांव के ये परिवार आज भी झेल रहे आपदा की मार

गत जुलाई में प्राकृतिक आपदा बेघर हुए कंकराड़ी गांव के तीन परिवार आज भी आपदा की मार झेल रहे हैं। राजकीय इंटर कालेज मुस्टिकसौड़ के भवनों के एक-एक कमरों में रहने को मजबूर हैं। वहीं चार माह से जिला प्रशासन इन परिवारों के विस्थापन के लिए कार्रवाई नहीं कर रहा।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 04:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 04:03 PM (IST)
उत्‍तरकाशी: कंकराड़ी गांव के ये परिवार आज भी झेल रहे आपदा की मार
ये परिवार राजकीय इंटर कालेज मुस्टिकसौड़ के भवनों के एक-एक कमरों में रहने को मजबूर हैं।

जागरण संवाददाता उत्तरकाशी: गत जुलाई में प्राकृतिक आपदा बेघर हुए कंकराड़ी गांव के तीन परिवार आज भी आपदा की मार झेल रहे हैं। जो राजकीय इंटर कालेज मुस्टिकसौड़ के भवनों के एक-एक कमरों में रहने को मजबूर हैं। वहीं, चार माह से जिला प्रशासन की ओर से इन परिवारों के विस्थापन के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके कारण इन परिवारों में आक्रोश है।

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गत 18-19 जुलाई 2021 को उत्तरकाशी जनपद के मांडो, निराकोट सहित कंकराड़ी गांव में प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिला। मांडो गांव के बीचोंबीच बहने वाला बरसाती गदेरा तबाही लेकर आया। मांडो गांव में करीब चार मकान जमींदोज हो गए हैं। कंकराड़ी गांव के मोहन सिंह गुसाईं, दलवीर सिंह गुसाईं, रामपाल सिंह पंवार के परिवार को राजकीय इंटर कॉलेज मुस्टिकसौड़ के सरकारी भवन के एक-एक कमरों में शिफ्ट कर दिया गया।

प्रशासन ने इन परिवारों के विस्थापन की बात कही थी और भू वैज्ञानिकों की रिपोर्ट में भी गांव के कई भवनों को खतरे की जद में बताया गया। कुछ दिन में कार्रवाई के आश्वासन के बाद जिला प्रशासन और सरकार इन आपदा प्रभावितों को भूल चुका है। एक परिवार के 6 से 7 व्यक्तियों को सरकारी स्कूल के एक-एक कमरों में जीवन यापन करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं।

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पीड़ित मोहन सिंह गुसाईं की छोटी बेटी रोशनी ने बताया कि जुलाई माह की आपदा में उनके घर के पूरा आंगन आपदा की भेंट चढ़ गया था। जिससे उनका आवासीय भवन खतरे की जद में आ गया। उसके बाद उनके परिवार को सरकारी स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन आज तक विस्थापन की कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीते अक्टूबर माह में उनके परिवार को उनकी शादी के लिए स्कूल के एक कमरे में ही सारी व्यवस्थाएं बनानी पड़ी। इस दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

रोशनी का कहना है कि हर बेटी का अरमान होता है कि जिस आंगन में बचपन बीता, उसी आंगन से डोली उठे। लेकिन सरकार और प्रशासन की बेरुखी के कारण उनके परिवार को सरकारी स्कूल में ही शादी की सभी रस्मों को निभाना पड़ा। आज यह स्थिति है कि अब सरकार के मुलाजिम उनका हाल पूछने की जहमत तक भी नहीं उठा रहे हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि जो परिवार बेघर हुए हैं उन्हें फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था पर ठहराया गया। इन परिवारों के विस्थापन की कार्यवाही चल रही है।

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