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समुद्र में डूबने से दो छात्रों की मौत के मामले में तीन शिक्षकों को सजा

गोवा टूर के दौरान समुद्र में डूबने से हुई स्कॉलर होम के दो छात्रों की मौत के मामले में कोर्ट ने स्कूल के तीन शिक्षकों को दो साल कैद की सजा सुनाई है।

By Edited By: Published: Fri, 17 May 2019 10:05 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 09:45 AM (IST)
समुद्र में डूबने से दो छात्रों की मौत के मामले में तीन शिक्षकों को सजा
समुद्र में डूबने से दो छात्रों की मौत के मामले में तीन शिक्षकों को सजा

देहरादून, जेएनएन। गोवा टूर के दौरान समुद्र में डूबने से हुई स्कॉलर होम के दो छात्रों की मौत के मामले में अदालत ने स्कूल के तीन शिक्षकों को दोषी पाते हुए दो-दो साल की कैद और साठ-साठ हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामले में कोर्ट ने स्कूल संचालक अरुण खन्ना और प्रधानाचार्य को बरी कर दिया है। 

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मामला वर्ष 2005 का है। मामले में 16 नवंबर 2006 को इंदिरापुरम थाना गाजियाबाद में राजपाल सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी। अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि राजपाल सिंह का पुत्र निखिल सिंह देहरादून के राजपुर रोड स्थित स्कॉलर होम स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ता था। 

वर्ष 2005 में स्कूल की ओर से दीपावली पर बच्चों को एक पांच दिवसीय टूर पर गोवा ले जाया गया। राजपाल के मुताबिक उन्होंने बेटे को गोवा भेजने से मना कर दिया था, लेकिन स्कूल प्रशासन ने छुट्टी नहीं दी। उन्होंने स्कूल प्रशासन को यह भी अवगत करा दिया था कि उनका बेटा तैरना नहीं जानता। समुद्र को देखकर उसे घबराहट होती है। 

इस सब के बावजूद स्कूल स्टाफ अन्य बच्चों के साथ उनके बेटे को भी गोवा ले गया। बताया कि वहां पांच बच्चे समुद्र में डूब गए थे। इनमें से तीन को बचा लिया गया था। एक छात्र निशांत की लाश मिली और उनके बेटे की लाश आज तक बरामद नहीं हुई। 

मामले में राजपाल ने स्कूल संचालक अरुण खन्ना, प्राचार्य छाया खन्ना, शिक्षक अरुण कुमार, सुशांत पांडा और महिला शिक्षक छवि रानी दास भौमिक को आरोपित बनाया था। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पंचम पुनीत कुमार ने सुनवाई करते हुए बच्चों की मौत के लिए आरोपित शिक्षक अरुण कुमार, सुशांत पाडा और छवि रानी दास भौमिक को लापरवाही और उपेक्षा का दोषी पाया। उन्हें दो-दो साल की कैद और 60-60 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। स्कूल संचालक अरुण खन्ना व प्रधानाचार्य ने बचाव में कहा था कि वह टूर पर नहीं गए थे। इसलिए उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया।

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