लापरवाही की इन्तहा: दून अस्पताल की लिफ्ट में फिर फंसे तीन लोग Dehradun News
कुछ दिन हुए जब अस्पताल की नई ओपीडी में छह लोग लिफ्ट में फंस गए थे। अफसर इसके बाद भी नहीं चेते। जिस कारण दो अलग-अलग घटनाओं में तीन लोग लिफ्ट में फंस गए।
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने लापरवाही की इन्तहा पार कर दी है। अभी कुछ दिन हुए जब अस्पताल की नई ओपीडी में छह लोग लिफ्ट में फंस गए थे। अफसर इसके बाद भी नहीं चेते। जिस कारण गुरुवार को भी दो अलग-अलग घटनाओं में तीन लोग लिफ्ट में फंस गए। काफी देर बाद चाबी मंगवाकर लिफ्ट खोली गई, जिसके बाद इन लोगों ने राहत की सांस ली।
गुरुवार को दोपहर सवा एक बजे के करीब दो युवक चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा से मिलने लिफ्ट से पांचवें तल पर जा रहे थे। इसी बीच चौथे व पांचवें तल के बीच बिजली चले जाने पर लिफ्ट बंद हो गई। इस बीच जनरेटर भी नहीं चला। जिस पर युवक फंसे रह गये। लिफ्ट में फंसने पर वह घबरा गए और युवकों ने काफी देर तक अलार्म बजाया, लेकिन किसी के नहीं आने पर एक युवक ने अस्पताल प्रबंधन एवं स्टाफ को फोन पर सूचना दी।
सुरक्षा गार्ड लिफ्ट की तरफ दौड़े और चाबी लाकर लिफ्ट खोली गई। इसके बाद एक अन्य युवक भी करीब दस मिनट तक पांचवें तल पर ही लिफ्ट में फंसा रहा। उसे भी सुरक्षा गार्ड ने चाबी से लिफ्ट खोलकर बाहर निकाला। उधर, घटना के बाद एमएस ने फिर से लिफ्ट संचालन पर रोक लगा दी है। उनका कहना है कि मरीजों के दबाव के चलते लिफ्ट का संचालन प्राचार्य के आदेश पर शुरू किया गया था।
गार्ड को चाबी दी गई है और लिफ्टमैन की मांग की गई है। वहीं, प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना का कहना है कि यूपी निर्माण निगम एवं लिफ्ट कंपनी को दिक्कत दूर करने के लिए लिखा गया है। वहीं लिफ्टमैन की भी व्यवस्था कराई जा रही है।
नए ओपीडी ब्लॉक में चोरों का बोलबाला
नए ओपीडी ब्लॉक में सीसीटीवी कैमरे न होने का लाभ चोर उठा रहे हैं। यहां एकाएक चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं। गुरुवार को चंद्रबनी निवासी एक महिला मरीज सुषमा अपने बेटी शिवानी के साथ अस्पताल आई थी। लिफ्ट से चर्म रोग विभाग में जाने के दौरान किसी ने उनका पर्स चोरी कर लिया। इसकी शिकायत उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक से की। बता दें, सोमवार को भी दो मरीजों का पर्स एवं मोबाइल चोरी कर लिया गया था। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि यूपी निर्माण निगम एवं प्राचार्य को सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए पत्र लिख दिया गया है।
फिर विवादों में घिरा मसूरी राजकीय अस्पताल
मसूरी राजकीय अस्पताल में कर्मचारियों की शिकायत पर पहले ही सीएमओ स्तर पर जांच चल रही है। इस बीच, अस्पताल की एक महिला चिकित्सक ने सीएमओ को पत्र भेजकर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि जानबूझकर बार-बार उनका वेतन रोका जा रहा है। इस मामले में जांच एवं कार्रवाई की मांग उन्होंने सीएमओ से की है।
महिला चिकित्सक ने आरोप लगाया है कि मसूरी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी पिछले कुछ वर्षों से जानबूझकर उन्हें टारगेट कर रहे हैं। उनके मुताबिक जुलाई 2016 से लेकर मार्च 2017 तक वह चिकित्सा शिक्षा विभाग में संबद्ध रही थीं और उस अवधि की उपस्थिति भी नियमित रूप से मसूरी अस्पताल में भेजी जाती रही है। बावजूद इसके उन्हें इस अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया गया।
जिससे उन्हें मानसिक उत्पीडऩ झेलना पड़ा। उनके मुताबिक, विभागीय अधिकारी यह कहकर मामला लटकाते रहे हैं कि उनके द्वारा इस अवधि की हाजिरी भेजी ही नहीं गई। यहां तक की बजट की डिमांड भी मसूरी अस्पताल की ओर से भेजी गई, लेकिन बजट मिलने के बाद बाद मार्च 2019 में इसे देने के बजाय सरेंडर कर दिया गया। इसी तरह वर्तमान में नवंबर एवं दिसंबर 2019 का वेतन भी जारी नहीं किया गया है।
जबकि इसकी उपस्थिति भी मसूरी अस्पताल को उपलब्ध करा दी गई है। उनका आरोप है कि यह सबकुछ उन्हें प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है। उधर, सीएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी का कहना है कि इस प्रकरण में उनके स्तर से जांच की जा रही है। हाल ही में शिकायत की गई थी, जिसका संज्ञान लिया गया है।
यह भी पढ़ें: दून अस्पताल की बड़ी लापरवाही, एक घंटे लिफ्ट में फंसे रहे छह लोग
बाकी मामलों में निदेशक को सौंपी रिपोर्ट
सीएमओ डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि मसूरी अस्पताल में कर्मचारियों की ओर से लगाए गए आरोपों में उनके स्तर से जांच पूरी कर रिपोर्ट निदेशक गढ़वाल को सौंप दी गई है। बताया कि इन प्रकरणों में निदेशालय स्तर से कुछ बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी, जिस पर जांच कर अब पूरी रिपोर्ट निदेशक को प्रेषित कर दी गई है।
यह भी पढ़ें: दवा की दुकान से नशे का कारोबार, मेडिकल स्टोर संचालक गिरफ्तार