आयुष पीजी में दाखिले के इच्छुक युवाओं को झटका, जानिए वजह
आयुष पीजी में दाखिला लेने वाले युवाओं को झटका लगा है। दरअसल प्रदेश के तीन आयुर्वेदिक कॉलेजों को इस सत्र की मान्यता नहीं मिली है।
देहरादून, [जेएनएन]: आयुष यूजी में दाखिले के इच्छुक युवाओं को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश के तीन आयुर्वेदिक कॉलेजों को इस सत्र की मान्यता नहीं मिली है। आयुष मंत्रालय ने देशभर के उन 52 कॉलेजों की सूची वेबसाइट पर अपलोड की है, जिनके आवेदन खारिज हुए हैं।
प्रदेश में बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस के दाखिले के लिए प्रथम राउंड की काउंसलिंग बीते माह आयोजित की गई थी। यहां सरकारी और गैर सरकारी 16 आयुर्वेदिक कॉलेज हैं। जबकि, दो होम्योपैथिक व एक यूनानी कॉलेज है। आयुर्वेद विवि की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस की कुल 1240 सीटों पर दाखिले किए जाएंगे। जिनमें स्टेट कोटा की 675 और ऑल इंडिया की 565 सीट हैं। लेकिन प्रथम राउंड तक केवल सात ही कॉलेज की मान्यता पर स्थिति स्पष्ट हुई।
इसी कारण विवि ने अब तक द्वितीय राउंड को लेकर भी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। अब आयुष मंत्री ने उन कॉलेजों की सूची अपलोड की है, जिनके आवेदन खारिज हुए हैं। इनमें बीहाईव आयुर्वेदिक कॉलेज देहरादून, क्वाड्रा इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद रुड़की और हिमालयी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज श्यामपुर शामिल हैं। इनमें बीएएमएस की 60-60 सीट हैं। जिनमें स्टेट कोटा व ऑल इंडिया कोटा की 30-30 सीट हैं।
आयुर्वेद विवि में पहुंच वालों के लिए नियम दरकिनार
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि में पहुंच वालों के लिए हर नियम दरकिनार है। नियुक्तियों को लेकर कठघरे में आए विवि में अब एक और खेल सामने आया है। विवि परिसर ने ऋषिकुल परिसर की एक प्राध्यापक को नियमविरुद्ध सेवा विस्तार दे दिया। आरोप है कि उन्हें सत्रात लाभ के दौरान यह लाभ दिया गया।
महिला एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री की रिश्तेदार हैं। शासन में की गई शिकायत में कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि ऋषिकुल परिसर की एक महिला प्राध्यापक मार्च 2017 में रिटायर होने वाली थीं। नियमों के मुताबिक उन्हें जून 2017 तक का सत्र लाभ दिया गया। इसी बीच कैबिनेट की बैठक में आयुष शिक्षकों के रिटायरमेंट की आयु को 60 से बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया।
शिकायत में कहा गया है कि उक्त प्राध्यापक को सेवा विस्तार का लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह नियमित सेवा नहीं, सत्र लाभ पर थीं। साथ ही 60 साल भी पूरे कर चुकी थीं। तत्कालीन कुलसचिव ने शासनादेश के आधार पर सेवा विस्तार की अर्जी पर शासन से मार्गदर्शन मागा था। शासन ने इस पर गोलमोल जवाब दिया। जिस पर विवि के तत्कालीन मुख्य वित्त अधिकारी ने उनके वेतन पर रोक लगा दी।
उसके बाद महिला पांच-छह माह तक छुट्टी पर चली गई। आरोप है कि अब फिर से उन्होंने अपने वेतन और सेवा विस्तार का दावा प्रस्तुत किया। जिस पर अवकाश स्वीकृत कर उन्हें वेतन की राशि का भुगतान कर पाचं साल का सेवा विस्तार दे दिया गया। उधर, कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार का कहना है कि जून 2017 में आयुर्वेद शिक्षकों के रिटायरमेंट की आयु 60 से 65 साल किए जाने का शासनादेश जारी हुआ था। उसी के आधार पर जितने भी शिक्षक ऐसे रहे होंगे, उन्हें सेवा विस्तार दिया गया। इन्हें नियमों के मुताबिक और शासन के अप्रूवल के बाद ही सेवा विस्तार दिया गया है। वह किसी मंत्री का रिश्तेदार है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है।
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