सीडीएस बिपिन रावत से इस तरह प्रभावित हुआ यह युवा, पांच सितारा होटल की नौकरी छोड़ बना सैन्य अफसर
भारतीय सेना एक नौकरी का जरिया नहीं है। ये शब्द हैं देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत के। नैनीताल का एक युवा सीडीएस रावत से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पांच सितारा होटल में नौकरी करने के बाद विदेश जाने का आफर ठुकराकर सेना को चुना।
विजय जोशी, देहरादून। हाल ही में दिवंगत हुए देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के व्यक्तित्व व क्षमताओं से पूरी दुनिया वाकिफ थी। देश के युवा भी उनकी कार्यकुशलता के कायल हैं। इस बात का एक नमूना भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में भी देखने को मिला। यहां नैनीताल के गौरव जोशी अंतिम पग भर भारतीय सेना की मुख्यधारा में बतौर सैन्य अफसर शामिल हो गए। सीडीएस बिपिन रावत की शख्सियत से वह इस कदर प्रभावित हुए कि पांच सितारा होटल में नौकरी करने के बाद विदेश जाने का आफर ठुकराकर सेना को चुना।
नैनीताल जिले के रामनगर निवासी गौरव कुमार जोशी शनिवार को आइएमए से पास आउट हुए। हालांकि, उनका सेना में शामिल होने तक का सफर बेहद रोचक रहा। पिता सेना में अफसर रहे, लेकिन गौरव को होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में नाम बनाना था। उनके पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर सतीश चंद्र जोशी ने बताया कि बेटे की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल, चंडीगढ़ से हुई। उच्च शिक्षा के लिए गौरव ने बंगलूरु जाने का निर्णय लिया। गौरव चाहते थे कि वे होटल इंडस्ट्री में मुकाम हासिल करें और विदेश भ्रमण करें। हालांकि, अचानक उनकी सोच और जिंदगी दोनों बदल गई। कारण थे जनरल बिपिन रावत।
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थल सेना प्रमुख रहते हुए जनरल बिपिन रावत को गौरव ने देखा और वे उनके कायल हो गए। फिर क्या था कुछ समय होटल इंडस्ट्री में नौकरी कर उन्होंने विदेश जाने का आफर भी अस्वीकार कर दिया। वे सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारतीय सैन्य अकादमी में चुने गए। उनकी मेहनत और लगन से प्रशिक्षक भी प्रभावित हुए। गौरव जोशी की मां गीता देवी और बहन रितु जोशी शर्मा को भी गौरव पर नाज हैं। सैन्य अफसर बनकर गौरव कहते हैं कि आखिरकार उन्हें जिंदगी का मकसद मिल गया।
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