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देश में पहली बार इस तकनीक से होगा मार्ग का सर्वे

कोटद्वार-रामनगर मार्ग के कार्बेट से गुजरने वाले 50 किलोमीटर हिस्से के सर्वे में 'वर्ल्‍ड व्यू-फोर सेटेलाइट इमेजिंग' तकनीक का देश में पहली मर्तबा प्रयोग करेगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 04:29 PM (IST)Updated: Sat, 21 Apr 2018 05:07 PM (IST)
देश में पहली बार इस तकनीक से होगा मार्ग का सर्वे
देश में पहली बार इस तकनीक से होगा मार्ग का सर्वे

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को राज्य के भीतर ही सीधे सड़क से जोड़ने वाली कंडी रोड के कोटद्वार-रामनगर हिस्से के सर्वे में आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया गया जाएगा। मार्ग के एलाइनमेंट का जिम्मा भारतीय वन्यजीव संस्थान को सौंपा गया है। वह इस मार्ग के कार्बेट से गुजरने वाले 50 किलोमीटर हिस्से के सर्वे में 'वर्ल्‍ड व्यू-फोर सेटेलाइट इमेजिंग' तकनीक का देश में पहली मर्तबा प्रयोग करेगा। इससे सेटेलाइट के जरिये जंगल में 30 सेमी तक की तस्वीरें साफ ली जा सकेंगी। जाहिर है कि इसके इस्तेमाल से एलाइनमेंट में कहीं किसी प्रकार का शक-सुबहा नहीं रहेगा।

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कंडी रोड के कोटद्वार-रामनगर हिस्से के निर्माण के लिए उत्तराखंड ईको टूरिज्म विकास निगम को नोडल एजेंसी बनाया गया है। ग्रीन रोड के रूप में विकसित की जाने वाली इस सड़क के एलाइनमेंट की जिम्मेदारी भारतीय वन्यजीव संस्थान को सौंपी गई है। 118 किलोमीटर लंबी इस सड़क का 50 किमी हिस्सा कार्बेट टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। इसके एलाइनमेंट के सर्वे में देश में पहली मर्तबा विश्व में सबसे बेहतर मानी जाने वाली वर्ल्‍ड व्यू-फोर सेटेलाइट इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

संस्थान के निदेशक डॉ.वीबी माथुर के मुताबिक इस तकनीक से सर्वे में एलानइमेंट के संबंध में एक-एक बिंदु की जानकारी ली जा सकती है। वन क्षेत्र में 30 सेंटीमीटर तक की तस्वीरें साफ ली जा सकती हैं। डॉ.माथुर ने बताया कि इससे यह पता लगाया जा सकता है कि कहां कितने पेड़ कटने हैं और कितने बचाए जा सकते हैं। साथ ही ये भी देखा जा सकता है कि किन-किन क्षेत्रों से वन्यजीवों का आवागमन अधिक है। यही नहीं, इस तकनीकी से पेड़ आसानी से गिने जा सकते हैं।

डॉ.माथुर के अनुसार ग्रीन रोड का मकसद भी यही है कि कम से कम पेड़ कटें, पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे और वन्यजीवों के विचरण में भी दखल न पड़े। इस लिहाज से कंडी रोड के एलाइनमेंट में वर्ल्‍ड व्यू-फोर सेटेलाइट इमेजिंग तकनीक बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी।

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