इकलौता भाई हुआ शहीद, अब बहनों को हर रक्षाबंधन में खलती है कमी
देश की सरहदों पर अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले शहीदों याद बहनों को रक्षा बंधन के दिन भावुक कर जाती है। कई बहनें भाई की तस्वीर पर राखी बांध उन्हें याद करती हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के कण-कण में वीरता व देशभक्ति है। तभी इसे देवभूमि के साथ ही वीरभूमि भी कहा गया है। यहां देश की सरहदों पर अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले शहीदों की शहादत को आज भी बहनों ने चिर स्थायी बनाया हुआ है। रक्षा बंधन के दिन भाई की याद उन्हें भावुक कर जाती है। कई बहनें जहां भाई की तस्वीर पर राखी बांध उन्हें याद करती हैं, कई श्रद्धांजलि देकर रिश्ते की डोर मजबूत करती हैं।
रक्षाबंधन का बहनें हर साल बेसब्री से इंतजार करती हैं। वह भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उससे रक्षा का वचन लेती हैं। वहीं कुछ बहनें ऐसी भी हैं, जिनसे नियति ने यह सौभाग्य ही छीन लिया है। ऐसे में उनकी आंखें भाई के साथ बिताए हर पल को याद कर नम हो जाती हैं।
दून निवासी तीन बहनों की भी कहानी भी कुछ ऐसी ही है। नवादा निवासी निशा आले और जाखन में रहने वालीं गंगा गुप्ता और जमुना राई के इकलौते भाई चंदन थापा वर्ष 2001 में जम्मू कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। इकलौते भाई की यादें आज भी बहनों के जहन में ताजा हैं।
भाई का देश और परिवार के प्रति जो प्यार था, वो आज भी अमिट है। तीनों बहनों की शादी हो चुकी है। वर्तमान में निशा नवादा तो गंगा और जमुना जाखन में रहती हैं। रक्षा बंधन के दिन तीनों बहनें अपने चचेरे-ममेरे भाईयों को राखी बांधती हैं।
मगर सगे भाई की कमी उनकी जिंदगी में आज भी खलती है। वह कहती हैं कि भाई पर उन्हें फख्र है। आज वह नहीं है, पर उसका नाम जिंदा है। रक्षाबंधन का त्योहार उसे याद कर बीतता है। गंगा और जमुना कहती हैं कि देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिक हमारी धरोहर हैं और नई पीढ़ी को उन पर गर्व करना चाहिए।
यह भी पढ़ें: भारत रक्षा पर्व: चार साल बाद बांधेंगी भाई की कलाई पर राखी
यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर में शहीद हुए भाई की फोटो पर राखी बांधती है बहन
यह भी पढ़ें: इस वृक्ष पर दी गई 152 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी, अब होती है पूजा