अच्छी नौकरी छोड़ चुनी महिलाओं को सशक्त करने की राह
दून की इस युवती को एमबीए करने के बाद नौकरी रास नहीं आईं तो बैंक से लोन लेकर अपनी कंपनी शुरू कर दी। इसके माध्यम से वह नारी सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहीं हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: अच्छी नौकरी पाना ही हर किसी का ख्वाब नहीं होता, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज में कुछ अलग करना चाहते हैं। पैसे ही जीवन के लिए पर्याप्त नहीं, आत्म संतुष्टि होना बेहद जरूरी है। यह कहना है नारी सशक्तीकरण की दिशा में काम कर रहीं दून की गरिमा गुप्ता का।
एमबीए करने के बाद नौकरी रास नहीं आईं तो उन्होंने बैंक से लोन लेकर अपनी छोटी सी कंपनी शुरू कर दी। इस कंपनी के माध्यम से वह जरूरतमंद महिलाओं को ईको फ्रेंडली बैग बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।
गरिमा ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले पिता एचएस राय की मृत्यु के बाद पिता के नाम से अपनी कंपनी शुरू की। मकसद था महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का। इसी के साथ इको फ्रेंडली बैग के जरिये पर्यावरण के क्षेत्र में भी लोगों को जागरूक करना। बताया कि महिलाएं जूट और कैनवास से यह बैग तैयार करती हैं। उन्होंने अपने काम की शुरुआत तीन साल पहले गाजियाबाद के मुरादनगर से की। यहां प्रशिक्षण ले चुकीं 15 महिलाएं अब उनकी टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने दून में भी तीन महीने पहले ही अपना काम शुरू किया है।
वह ऐसी महिलाओं को तैयार करना चाहती हैं, जिन्हें काम की जरूरत है। इन महिलाओं की जिंदगी में भी इस रोजगार से जुडऩे के बाद काफी बदलाव आए हैं। आर्थिक रूप से सक्षम बनने के बाद उनमें आत्मविश्वास साफ झलकता है। गरिमा वर्तमान में उत्तराखंड सरकार के साथ भी काम कर रही हैं। उत्तराखंड में बने उत्पाद बेचने वाली संस्था हिमाद्री में भी उनके तैयार बैग रखे गए हैं। शुरुआत में मां रीना गुप्ता ने गरिमा को इस काम के लिए मना किया। लेकिन, उनकी लगन देखकर आज वह उन पर गर्व करती हैं। बहन पूर्णिमा और भाई आकाश भी पूरा सहयोग करते हैं।
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