Budget 2020: खेतों में लहलहाएंगी फसलें और बिजली भी बेचेंगे किसान
खेती-किसानी की तस्वीर संवारने की दिशा में बजट ने नई उम्मीद जगाई है। सिंचाई सुविधा के अभाव में अब खेत खाली नहीं रहेंगे और वहां फसलें लहलहाएंगी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देवभूमि में खेती-किसानी की तस्वीर संवारने की दिशा में बजट ने नई उम्मीद जगाई है। सिंचाई सुविधा के अभाव में अब खेत खाली नहीं रहेंगे और वहां फसलें लहलहाएंगी। इसके लिए लगने वाले सोलर पंप को किसान न सिर्फ खुद के सोलर पावर प्लांट से बिजली की आपूर्ति करेंगे, बल्कि बिजली बेच भी सकेंगे। किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री-किसान ऊर्जा सुरक्षा व उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के विस्तार के एलान से यह संभावना बलवती हुई है।
विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में खेती किसानी के सामने चुनौतियों का पहाड़ कम नहीं है। सबसे बड़ी दिक्कत सिंचाई सुविधा की है। आंकड़ों पर ही गौर करें तो राज्य में कुल कृषि क्षेत्रफल 6.90 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष 3.29 लाख हेक्टेयर ही सिंचित है। सिंचित क्षेत्र में पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ 0.43 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई सुविधा है। स्थिति ये है कि प्रदेश के कुल 95 में से 71 विकासखंडों में खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है। ऐसे में वक्त पर वर्षा हो गई तो ठीक, अन्यथा बिन पानी सब सून।
इस परिदृश्य में पीएम-कुसुम योजना कुछ उम्मीद जगाती है। पिछले वर्ष शुरू की गई इस योजना को अब केंद्र ने विस्तार देने का एलान किया है। जाहिर है कि इससे राज्य के किसानों को भी लाभ मिलेगा। असल में राज्य में जिन क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा है, वहां डीजल या बिजली चालित नलकूपों के संचालन में आने वाला खर्च किसानों पर भारी पड़ रहा है।
अब केंद्र ने कृषि से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास की प्रतिबद्धता के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन से भी कृषकों को जोडऩे का इरादा जाहिर किया है। इससे राज्य के किसान अपनी जरूरत पूरा करने के साथ ही ऊर्जादाता भी बन सकेंगे। वजह ये कि राज्य में वैकल्पिक ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं। इसमें सौर ऊर्जा प्रमुख स्रोत है। कृषि के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन से किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।
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पीएम-कुसुम योजना के तहत अभी तक प्रदेश में उन किसानों को सोलर पावर प्लांट के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा, जिनके नलकूप हैं। अब इस मुहिम में तेजी आएगी। नलकूपों को सोलर पावर प्लांट से मिलने वाली सौर ऊर्जा से चलाया जाएगा और शेष बची बिजली को किसान ग्रिड को बेच सकेंगे। हालांकि, इसका अधिक लाभ प्रदेश के तराई और मैदानी क्षेत्र के 55 हजार से ज्यादा किसानों को मिलेगा।
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अलबत्ता, पर्वतीय क्षेत्रों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वहां बंजर या खाली पड़ी भूमि का उपयोग सोलर पावर प्लांट लगाने में किसान कर सकेंगे। वे भी ग्रिड को बिजली बेचकर लाभ कमा सकेंगे। साथ ही सिंचाई सुविधा के मद्देनजर छोटी-छोटी पंपिंग योजनाओं के संचालन को भी ऊर्जा की जरूरत पूरी कर सकेंगे।
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