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उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों का मुद्दा गरमाया, जानिए वजह

यूपी कैडर के अधिकारियों का उत्तराखंड से मोह नहीं छूट रहा। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि उप्र कैडर के अधिकारियों की वजह से राज्य कैडर के अधिकारियों की ज्येष्ठता प्रभावित हो रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:49 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:49 PM (IST)
उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों का मुद्दा गरमाया, जानिए वजह
उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों का मुद्दा गरमाया, जानिए वजह

देहरादून, जेएनएन। लेखा परीक्षा, स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग समेत कई विभागों में तैनात उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों का उत्तराखंड से मोह नहीं छूट रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि उप्र कैडर के अधिकारियों की वजह से उत्तराखंड कैडर के अधिकारियों की ज्येष्ठता प्रभावित हो रही है। हालांकि, राज्य पुनर्गठन विभाग का कहना है कि सूबे में कुछ ही विभागों में उप्र कैडर के अधिकारी बचे हैं।

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वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद आइएएस, आइपीएस, पीसीएस संवर्ग के अधिकारियों को उत्तराखंड कैडर आवंटित किया गया। जिन विभागों में उत्तराखंड कैडर के अधिकारियों की संख्या कम पड़ रही थी, वहां उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों को तब तक के लिए रोक लिया गया था, जब तक राज्य में उनके सापेक्ष पदों पर तैनाती न हो जाए। इस तरह की व्यवस्था बनने के करीब बीस वर्ष बाद भी स्वास्थ्य विभाग में कुछ चिकित्सक, पुलिस विभाग में कुछ अधिकारी से लेकर लोक निर्माण विभाग में अभियंताओं के कई पदों पर उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी जमे हुए हैं। लेखा परीक्षा विभाग में भी उप्र कैडर के दो सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी और एक लेखा परीक्षा अधिकारी अभी कार्यरत हैं।

25 अधिकारियों की पदोन्नति लटकी

उत्तराखंड लेखा परीक्षा सेवा संघ पिछले कई महीनों से उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारियों को कार्यमुक्त करने की मांग को लेकर मोर्चा खोले हुए है। संघ के अध्यक्ष रमेश पांडे का कहना है कि लेखा परीक्षा विभाग में पद खाली होने के बाद भी पदोन्नति नहीं हो रही है। कई अधिकारी बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के तीन अधिकारियों के कारण उत्तराखंड कैडर के 25 अधिकारियों की पदोन्नति लटकी हुई है। निदेशालय से एकीकरण नियमावली 2019 के तहत अधीनस्थ संवर्ग की अनंतिम ज्येष्ठता सूची में उप्र कैडर के दो अधिकारियों को शामिल करने से विवाद खड़ा हुआ है। आपत्ति के जवाब में निदेशालय की ओर से बताया गया कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 75 के तहत इनका नाम सूची में शामिल किया गया है।

48 कार्मिकों की होनी है पदोन्नति, 126 पद हैं खाली

लेखा परीक्षा विभाग के विभागीय ढांचे में कुल 174 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष 126 पद खाली हैं। उत्तराखंड लेखा परीक्षा सेवा संघ का कहना है कि विभाग में कार्यरत मात्र 48 कार्मिकों में से तीन कार्मिक उप्र कैडर के हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऑडिट जैसे महत्वपूर्ण विभाग को चाक-चौबंद किए बिना सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों को अमल में नहीं लाया जा सकता है।

अपर सचिव पुनर्गठन विभाग के अपर सचिव अतुल कुमार गुप्ता उत्तर प्रदेश कैडर के चिकित्सक, अभियंताओं को उनकी उपयोगिता के आधार पर ही रोका गया है। ऐसे अधिकारियों को राज्य से कार्यमुक्त करने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के आला अधिकारी की होती है।

एसीपी में सीआर की अनिवार्यता खत्म हो

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की हाईपावर कमेटी की विकास भवन में बैठक हुई, जिसमें एस्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एसीपी) में कैरेक्टर रोल (सीआर) की बाध्यता खत्म करने की मांग को प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया। तय किया गया कि इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मुलाकात की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रहलाद सिंह ने कहा कि एसीपी की पूर्व व्यवस्था के अनुसार 10, 16 और 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नत वेतनमान लाभ दिया जाए, क्योंकि एक ही विभाग के 70 प्रतिशत कर्मचारी लाभ प्राप्त कर चुके हैं। अब तक एक ही विभाग में एक ही पद के कर्मचारियों के वेतनमान में असमानता है। एसीपी के लिए अतिउत्तम और उत्कृष्ट चरित्र प्रविष्टी की अनिवार्यता को खत्म किया जाना चाहिए। वहीं, प्रदेश के सभी कर्मचारियों को अधिकारियों की भांति एक बार शिथिलीकरण का लाभ देने से सरकार पर कोई वित्तीय भार भी नहीं पड़ेगा। 

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स्थानांतरण एक्ट में महिलाओं को 50 वर्ष और पुरुष को 52 वर्ष पर दुर्गम में स्थानांतरण से छूट दी जाए। बैठक में अटल आयुष्मान योजना को पुनरीक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रांतीय प्रवक्ता गुड्डी मटूड़ा ने कहा कि सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों से एक समान राशि की कटौती की जा रही है। पेंशनरों से 50 फीसद की कटौती की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना में दून के कई बड़े अस्पतालों को शामिल नहीं किया गया है। बैठक में महिला कल्याण, स्वास्थ्य व प्रोबेशन विभाग में कार्यरत कार्मिकों को भी एसीपी का लाभ देने की मांग की गई। इस मौके पर जिलाध्यक्ष चौधरी ओमवीर सिंह, महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट, नंद किशोर त्रिपाठी, रेनू लांबा, दिशा बडोनी, सुनील देवली, जगदीश कुमार गुसाईं, सुभाष चंद्र शर्मा आदि मौजूद रहे।

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