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तो क्या केंद्र सरकार की एजेंसी नहीं कर रही थी निगरानी, निर्माणाधीन पुल ढहने के मामले में उठने लगे सवाल

ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर गूलर के समीप निर्माणाधीन पुल के ढहने के मामले में जांच के बाद ही हकीकत सामने आएगी। मगर प्रथम दृष्टया दुर्घटना के कारण सामने आ रहे हैं उसमें केंद्र सरकार की ओर से निगरानी के लिए नियुक्त की गयी एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 04:00 AM (IST)
तो क्या केंद्र सरकार की एजेंसी नहीं कर रही थी निगरानी, निर्माणाधीन पुल ढहने के मामले में उठने लगे सवाल
ऑलवेदर रोड के निर्माण में गूलर के समीप निर्माणाधीन पुल पर हुआ यह पहला बड़ा हादसा है।

ऋषिकेश,जेएनएन। ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर गूलर के समीप निर्माणाधीन पुल के ढहने के मामले में जांच के बाद ही दुर्घटना की हकीकत सामने आएगी। मगर, प्रथम दृष्टया दुर्घटना के जो कारण सामने आ रहे हैं, उसमें केंद्र सरकार की ओर से निगरानी के लिए नियुक्त की गयी एजेंसी की भूमिका सवालों के घेरे में है। 

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चारधाम को जोडऩे के लिए तैयार हो रही ऑलवेदर रोड के निर्माण में गूलर के समीप निर्माणाधीन पुल पर हुआ यह पहला बड़ा हादसा है। इस हादसे ने सुरक्षा इंतजामों की भी पोल खोलने का काम किया है। दरअसल ऑलवेदर रोड के निर्माण में ठेकेदार और कार्यदायी संस्था के बीच होने वाली सांठगांठ पर नजर रखने के लिए केंद्र सरकार ने इस परियोजना में तीसरी एजेंसी को निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। इस एजेंसी का काम ठेकेदार के कामकाज की निगरानी कर कार्यदायी संस्था को ठेकेदार की कमी से अवगत कराना है। मगर, कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर की माने तो अभी तक निगरानी करने वाली एजेंसी अमोलिसा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से अभी तक संबंधित ठेकेदार को लेकर कोई भी शिकायत दर्ज नहीं कराई गयी थी। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर के सहायक अभियंता मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि नदी तल से 22 मीटर ऊपर बन रहे इस 90 मीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य राजश्याम कंस्ट्रक्शन कंपनी गाजियाबाद कर रही है।

उन्होंने बताया कि कंपनी ने करीब आधा पुल यानी 45 मीटर लंबे पुल का निर्माण पूरा कर दिया था। जबकि रविवार को शेष 45 मीटर हिस्से पर लिंटर डालने का काम किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में पता चला कि काम के समय काम कर रही कंपनी के ब्रिज इंजीनियर सत्यवीर ङ्क्षसह व टीम लीडर इंद्र दत्त मोदी भी साइट पर ही मौजूद थे। पुल के आखिरी हिस्से में जब मिक्चर मशीन मिलर से कंकरीट की आखिरी खेप उतारी जा रही थी, तभी सेटङ्क्षरग टूट गयी और पुल का हिस्सा ढह गया। 

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उन्होंने बताया कि अभी तक कार्य में निगरानी करने वाली भारत सरकार की ओर से नामित एजेंसी अमोलिसा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से संबंधित संस्था के खिलाफ कोई भी शिकायत नहीं मिली थी। बहरहाल पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। दुर्घटना के बाद देर रात तक भी निगरानी करने वाली एजेंसी 

तो क्या सेटरिंग को थामने वाला पिलर टूटा 

राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर के सहायक अभियंता मृत्युंजय शर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया जांच में यह बात सामने आयी है कि पुल के लिए जो सेटरिंग जोड़ी गयी थी, उसे थामने के लिए लगाया गया पिलर लोड बढऩे से टूट गया था। हालांकि इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो पाएगी। उन्होंने बताया कि जब यह हादसा हुआ तब पुल पर लगभग पूरा कंकरीट बिछाया जा चुका था। कंकरीट की आखिरी खेप को जब मिक्चर मशीन से उतारा गया, तभी अचानक सेटरिंग टूट गयी। 

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