फिल्म छपाक को लेकर दर्शकों में देखने को मिली विभिन्न प्रतिक्रिया
अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक देश के विभिन्न सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। दून में भी फिल्म को लेकर दर्शकों में विभिन्न प्रतिक्रिया देखने को मिली।
देहरादून, जेएनएन। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की फिल्म छपाक देश के विभिन्न सिनेमाघरों में रिलीज हो गई। दून में भी फिल्म को लेकर दर्शकों में विभिन्न प्रतिक्रिया देखने को मिली। हालांकि, फिल्म को लेकर उम्मीद की भांति दर्शकों में क्रेज कम दिखा।
देहरादून में सिल्वर सिटी मल्टीप्लेक्स, कॉर्निवल, विकास मॉल, फन सिनेमा न्यू इंपायर, पीवीआर पैसेफिक, ओरिएंट आदि सिनेमाघरों में फिल्म प्रदर्शित की गई। ओरिएंट सिनेमा हॉल में एंगेजग यंग इंडिया एनजीओ की ओर से युवाओं को निश्शुल्क फिल्म दिखाई गई, लेकिन सिनेमाघर की अधिकांश सीटें खाली दिखीं।
वहीं, सिनेमाघर के टिकट काउंटर पर कार्यरत कर्मियों का कहना था कि वर्किग-डे होने के कारण दर्शक कम ही पहुंचे। वीकेंड में दर्शकों के बढ़ने की संभावना है। वहीं, फिल्म देखकर बाहर आने के बाद दर्शकों ने बताया कि फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहीं दीपिका के साथ ही उनकी वकील अर्पणा भट्टं का किरदार उन्हें खूब पसंद आया। फिल्म में दीपिका पादुकोण ने मालती का किरदार निभाया है।
दोषी को सजा सुनाने के दृश्य पर दर्शक हुए खुश
फिल्म में जैसे ही मालती पर तेजाब फेंकने का दृश्य दिखाया गया, हॉल में एकाएक सन्नाटा छा गया और अधिकांश दर्शक भावुक होते दिखे। कोर्ट के दोषी को सजा सुनाए जाने के दृश्य को देखकर दर्शक सबसे अधिक खुश दिखे।
बोले दर्शक
- शालू राणा (छात्रा) का कहना है कि वकील अर्पणा भट्टं का किरदार बहुत ही प्रेरणादायक था। समाज में इस तरह के वकील मिले तो पीड़ित को आसानी से इंसाफ भी मिल जाता है। उनके किरदार ने पूरी फिल्म में जान डाल दी।
- राजेश यादव (छात्र) का कहना है कि फिल्म भावुक कर देने वाली है। अगर पीड़िता के संघर्ष को और गहराई से दिखाया जाता तो फिल्म देखने में और भी अधिक मजा आता। फिल्म ओवरऑल काफी अच्छी रही।
- सैय्यद रॉबी हुसैन (छात्र) का कहना है कि फिल्म में रोमांटिक सीन कम थे, लेकिन फिल्म ने अंत तक बांधे रखा। सच्चा प्यार करने वालों के लिए फिल्म मिसाल है। पीड़िता के संघर्ष से लेकर न्याय तक का दृश्य भावुक कर देने वाले हैं।
- रेखा ढींगरा (शिक्षिका) का कहना है कि आज भी तेजाब खुलेआम बिक रहा है। गत वर्ष 2019 में भी एक युवती पर तेजाब से हमला किया गया। दुख होता है कि बेगुनाह होकर भी युवतियों को इस तरह सजा भुगतनी पड़ती है।
- आरती सकलानी (शिक्षिका) का कहना है कि फिल्म को तीन स्टार देना चाहूंगी। फिल्म को देखकर वाकई भावुक हो गई थी। पीड़िता का जज्बा ओवरऑल सबको प्रोत्साहित करने वाला था।
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- अंशुल (छात्र) का कहना है कि इस तरह की फिल्में युवाओं को देखनी चाहिए, ताकि उन्हें समाज में घटित घटनाओं की सच्चाई का भी पता चले और विपरित मानसिकता को कम किया जा सके।
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