Move to Jagran APP

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए खनन के मानकों में संशोधन

उत्तराखंड के विकास में गेम चेंजर साबित होने जा रही महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण कार्यों में अब तेजी आएगी। इस कड़ी में निर्माण सामग्री के मद्देनजर आ रही दिक्कतों के निदान के लिए राज्य सरकार ने खनन नीति में संशोधन किया है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 03:50 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 03:50 PM (IST)
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए खनन के मानकों में संशोधन
उत्तराखंड के विकास में गेम चेंजर साबित होने जा रही महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना निर्माण कार्यों में अब तेजी आएगी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के विकास में गेम चेंजर साबित होने जा रही महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण कार्यों में अब तेजी आएगी। इस कड़ी में निर्माण सामग्री के मद्देनजर आ रही दिक्कतों के निदान के लिए राज्य सरकार ने खनन नीति में संशोधन किया है। इसके तहत खनन के भंडारण, ईंट रिटेल भंडारण, ईंट भट्टा परिसर भंडारण एवं सोपस्टोन भंडारण के लिए तय नियम रेल विकास परियोजना लिमिटेड और इनके द्वारा अनुबंधित ठेकेदारों पर लागू नहीं होंगे। इनके लिए अलग मानक बनाए गए हैं।

loksabha election banner

प्रदेश में इस समय सामरिक और पर्वतीय क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से बेहद अहम ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है। इस रेल लाइन के बनने से प्रदेश की आर्थिकी में खासा परिवर्तन आने की संभावना है। इससे प्रदेश के पर्वतीय इलाके भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ जाएंगे। इस रेल लाइन के बनने का काम शुरू हो चुका है लेकिन रेल विकास परियोजना लिमिटेड और इसके द्वारा अनुबंधित ठेकेदारों को निर्माण सामग्री एकत्र करने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रेल विकास परियोजना लिमिटेड द्वारा समय-समय पर प्रदेश सरकार व शासन को इस संबंध में अवगत कराया गया। इसे देखते हुए शासन ने खनन नीति के मानकों में संशोधन किया है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि खनन नीति के यह मानक रेल विकास परियोजना लिमिटेड पर लागू नहीं होंगे। खनिज के रिटेल भंडारण के लिए रेल विकास परियोजना लिमिटेड के लिए अलग व्यवस्था संशोधित नीति में दी गई है।

यह भी पढ़ें- Indian Railways : हरिद्वार-देहरादून रेल मार्ग आज रहेगा बंद, ब्रिज बनाने का होगा काम

इसमें इन्हें रिटेल भंडारण स्थल के लिए धार्मिक स्थल, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, रेल मार्ग, नदी व सरकारी वन से दूरी के मानकों में छूट दी गई है। इसके साथ ही इन्हें टनलों के निर्माण कार्य के दौरान निकलने वाले उपयोगी खनिज को उपयोग करने की अनुमति दी गई है। हालांकि इसके लिए इन्हें रायल्टी की दोगुनी धनराशि चुकानी होगी। इन्हें वर्षाकाल के दौरान भी चुगान की अनुमति दी गई है। इनके लिए रिवर ट्रेनिंग नीति व स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट नीति के लिए तय मानकों से छूट दी गई है। हालांकि, इन्हें पर्यावरण के तय मानकों का अनुपालन करना अनिवार्य होगा।

यह भी पढ़ें- Popular Science Lecture Series: प्रो. मोनोजित रे बोले, उत्तराखंड की नदियों में जैव विविधता का अध्ययन जरूरी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.