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वो माहौल कुछ और था, जबकि आज का माहौल कुछ और है

विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान साक्षी रहे दून के धर्मपुर विधायक विनोद चमोली का कहना है कि वो माहौल कुछ और था जबकि आज का माहौल कुछ और है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 08:49 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:49 AM (IST)
वो माहौल कुछ और था, जबकि आज का माहौल कुछ और है
वो माहौल कुछ और था, जबकि आज का माहौल कुछ और है

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान साक्षी रहे दून के धर्मपुर विधायक विनोद चमोली का कहना है कि वो माहौल कुछ और था, जबकि आज का माहौल कुछ और है। उस वक्त पूरे देश में तनाव की स्थिति थी। लोगों में उन्माद और आक्रोश था, मगर आज की परिस्थितियां दूसरी हैं। यह देश के लोकतंत्र की मजबूती का परिणाम है और जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है, उससे यह साबित होता है कि देश में सिर्फ कानून का ही राज चलेगा।

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चमोली के अनुसार यह देश कानून व्यवस्था से जुड़ा हुआ है और यह फैसला कानून की जीत है। चमोली ने कहा कि छह दिसंबर 1992 को उनके साथ करीब 200 लोग अयोध्या पहुंचे थे। विवादित ढांचे के विध्वंस की घटना के बाद करीब दो महीने तक पुलिस उन्हें तलाशती रही, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगे। उस दौरान चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन में चमोली जेल भी गए थे। चमोली की ही तरह उस दिन छह दिसंबर को मौजूदा भाजपा महानगर अध्यक्ष विनय गोयल समेत कई लोग अयोध्या गए थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी ने एक सुर में इसे आस्था और न्याय की जीत बताया है। 

विनोद चमोली (विधायक धर्मपुर) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से तय हो गया है कि देश में सिर्फ कानून का ही राज चलेगा। यह फैसला संविधान के अनुसार है व हम सभी को इसका स्वागत करना चाहिए। यह सांप्रदायिक सौहार्द का वक्त है और विवाद भूलकर सभी संप्रदाय के लोग एक मिसाल कायम करें। 

गौरव कुमार (प्रदेश प्रमुख शिवसेना) का कहना है कि मेरी उम्र उस समय महज 21 साल की थी, जब छह दिसंबर 1992 को हम लोग कार सेवा के लिए अयोध्या गए थे। हमने उस दौरान जो माहौल देखा। आज देश को जिसकी जरूरत थी, वैसा ही फैसला माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। 

विनय गोयल (भाजपा महानगर अध्यक्ष) का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिष्ठित व संयत फैसला सुनाया है। इससे सभी संतुष्ट हैं। हमने देश में 1992 में उन्माद का माहौल देखा है और आज सौहार्द का माहौल देख रहे हैं। इसी के साथ देश में लंबे समय से चले आ रहे विवाद का भी अंत हो गया। 

अनिल गुप्ता (उद्योगपति) का कहना है कि जो पूरा हिंदुस्‍तान और जनता चाहती थी, वह फैसला आया है। छह दिसंबर 1992 को जब हम अयोध्या में थे, उस वक्त हर कोई अपने सीने में एक तूफान लिए हुआ था। आज के माहौल में उन्माद की जगह नहीं है। हम इस फैसले का सम्मान करते हैं। 

आंदोलन में जेल गए थे विधायक कपूर

कैंट क्षेत्र के विधायक हरबंस कपूर वर्ष 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल गए थे। उन्हें पौड़ी के एक स्कूल में बनाई गई अस्थायी जेल में रखा गया था। उनके साथ 40-45 अन्य लोगों को भी रखा गया था।

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राम जन्मभूमि आंदोलन की यादों को ताजा करते हुए विधायक हरबंस कपूर कहते हैं कि आज उनका आंदोलन सफल हो गया है। वर्ष 1990 के दिनों को याद करते हुए कपूर कहते हैं कि 14 अक्टूबर को उन्हें जब पकड़ा गया, तब वह देहरादून सीट से विधायक थे। खास बात यह कि जिस दिन उन्हें रिहा किया गया, वह तारीख नौ नवंबर 1990 थी और आज राम जन्मभूमि पर इसी तारीख को ऐतिहासिक फैसला आया है। गिरफ्तार से पहले विधायक कपूर करीब 45 दिन अंडरग्राउंड भी रहे थे और पुलिस उनकी खोज कर रही थी।

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