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Tender scam In Nagar Nigam: सिंडिकेट में खलबली, जांच रुकवाने और दबाव बनाने को भागदौड़

निगम में कूड़ा उठान वाली ट्रैक्टर-ट्रॉली के टेंडर में हुए घोटाले में महापौर की ओर से जांच बैठाने के बाद पार्षदों के सिंडिकेट में खलबली मच गई है। इन पार्षदों ने महापौर सुनील उनियाल गामा व नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से भी मुलाकात की।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 04:53 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 04:53 PM (IST)
Tender scam In Nagar Nigam: सिंडिकेट में खलबली, जांच रुकवाने और दबाव बनाने को भागदौड़
सिंडिकेट में खलबली, जांच रुकवाने और दबाव बनाने को भागदौड़।

देहरादून, जेएनएन। नगर निगम में कूड़ा उठान वाली ट्रैक्टर-ट्रॉली के टेंडर में हुए घोटाले में महापौर की ओर से जांच बैठाने के बाद पार्षदों के सिंडिकेट में खलबली मच गई है। जांच रोकने और दबाव बनाने को लिए इन पार्षदों ने महापौर सुनील उनियाल गामा और नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से भी मुलाकात की, लेकिन महापौर ने साफ इनकार कर दिया। ये भी कहा कि अगर गड़बड़ी हुई तो टेंडर को निरस्त किया जाएगा। वहीं, इस मामले को लेकर कांग्रेस भी मुखर हो गई है और घोटाले के आरोपित पार्षदों और निगम अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।

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नगर निगम में अगस्त में किराए पर लगाए गए ट्रैक्टर-ट्रॉली के टेंडर में भाजपा के कुछ पार्षदों पर सिंडिकेट बनाकर टेंडर में घोटाला करने का आरोप है। इन्होंने डमी ठेकेदार के जरिए टेंडर हासिल किया और अब शर्तों के अनुसार कार्य भी नहीं कर रहे। टेंडर में 45 ट्रैक्टर-ट्रॉली लगाना अनिवार्य है, जबकि इस सिंडिकेट ने सिर्फ 30 ट्रैक्टर संचालित किए हुए हैं। यही नहीं रोजाना निर्धारित चार फेरों के बदले सिर्फ दो ही फेरे लगाए जा रहे हैं, जबकि बिल पूरे चार फेरों के बनाकर निगम को दिए गए। मामले का खुलासा निगम की कार्यकारिणी बैठक में सोमवार को भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत ने किया था। उन्होंने दिन के हिसाब से ट्रैक्टर ट्रॉली के संचालन और फेरों के रिकार्ड भी सदन के समक्ष रखे थे। यही नहीं ट्रॉली भी निर्धारित मानक के तहत नहीं है।

मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश जोशी ने भी सभी के समक्ष गड़बड़ी का अंदेशा जताया था। इस पर महापौर व नगर आयुक्त ने मामले की जांच मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपकर 15 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। महापौर गामा ने गड़बड़ी पाए जाने पर टेंडर निरस्त करने के आदेश भी दिए हैं।

मंगलवार को पार्षदों के सिंडिकेट ने जांच रुकवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिंडिकेट से जुड़े सभी पार्षद पूरे दिन निगम में डटे रहे। नगर आयुक्त के बाद महापौर से मुलाकात में भी कोई राहत न मिलने पर ये इधर-उधर फोन घुमाते रहे।

कांग्रेस बोली, घपलेबाज पार्षदों पर हो कार्रवाई

कांग्रेस अनुसूचित जाति के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक राजकुमार ने नगर आयुक्त से मुलाकात कर घोटालों की जांच की मांग और घपलेबाज पार्षदों पर कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार को राजकुमार की ओर से दिए ज्ञापन में कहा गया कि कोरोनाकाल में भी सफाई और सैनिटाइजेशन के नाम पर नगर निगम में घपले हो रहे। भाजपाई पार्षद डमी ठेकेदार के जरिए टेंडर लेकर अनियमितताएं कर रहें। उन्होंने कहा कि शहर में चल रही सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया में भी घपला चल रहा और चुनिंदा जगह सैनिटाइज कर बाकी क्षेत्र भगवान के भरोसे छोड़ दिए जा रहे हैं। कांग्रेस ने घोटालों पर कार्रवाई नहीं होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

राजफाश करने वाले पार्षद को ऑफर

टेंडर घपले का राजफाश करने वाले पार्षद भूपेंद्र कठैत को आरोपित सिंडिकेट की ओर से मामले को दबाने का ऑफर दिया जाने लगा है। उन पर भाजपा विधायकों के जरिए दबाव तो बनाया ही जा रहा, साथ ही उनके आधा दर्जन वाहनों को निगम में किराए पर एडजस्ट करने की ऑफर भी दी गई है। इस बारे में खुद कठैत ने बताया कि सिंडिकेट में शामिल पार्षद उन पर दबाव बना रहे कि वे मामले को तूल न दें। 

महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि चाहे कोई दबाव बनाए, लेकिन जांच किसी सूरत में नहीं रुकेगी। निगम जो कुछ भी कार्य कर रहा है, वह आमजन के लिए कर रहा है। इसमें वित्तीय अनियमितता की कोई जगह नहीं है। जो गड़बड़ी कर रहे हैं, उन्हें चिह्नित कर दंड देना ही सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति है। नगर निगम भी ऐसे व्यक्तियों को चिह्नित कर रहा है, चाहे फिर वह कोई जनप्रतिनिधि ही क्यों न हो।

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एक अधिकारी की भूमिका संदिग्ध

टेंडर में हुए घपले और उसके बाद अब जांच बैठाने जाने के बाद से निगम के एक अधिकारी में भी बेचैनी है। निगम सूत्रों की मानें तो टेंडर लेने वाले पार्षदों के सिंडिकेट को इसी अधिकारी का संरक्षण है और इसी ने भुगतान के बिल भी बनवाए। इसके साथ ही स्वास्थ्य अनुभाग के एक अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध है, जो निगम में किराए की गाड़ियों का लेखाजोखा संभालते हैं।

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