Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में 10 विभागों का एकीकरण महज झुनझुना, पढ़िए पूरी खबर

आठ विभाग पहले ही एकीकरण की कतार में हैं और अब जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण के मद्देनजर मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 07:55 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 08:45 PM (IST)
उत्‍तराखंड में 10 विभागों का एकीकरण महज झुनझुना, पढ़िए पूरी खबर
उत्‍तराखंड में 10 विभागों का एकीकरण महज झुनझुना, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में एक जैसा कार्य करने वाले विभागों के एकीकरण का निश्चय तो किया गया है, लेकिन पिछले तीन वर्षों में यह मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई है। आठ विभाग पहले ही एकीकरण की कतार में हैं और अब जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण के मद्देनजर मंत्रिमंडलीय उप समिति गठित की गई है। इसके साथ ही एकीकरण वाले विभागों की संख्या 10 हो गई है, लेकिन इसकी राह इतनी आसान भी नहीं है। पुराने अनुभव तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं।

loksabha election banner

सरकार ने पूर्व में तय किया था कि एक ही प्रवृत्ति और एक जैसा कार्य करने वाले विभागों का आपस में विलय कर एकीकरण किया जाएगा। इसके पीछे मंशा मितव्ययता, बेहतर प्रशासन और विभागों के कार्यों में तेजी लाना है। तीन साल के वक्फे में कृषि एवं उद्यान, खेल और युवा कल्याण व प्रांतीय रक्षक दल, गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) व कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिंचाई व लघु सिंचाई के एकीकरण की ठानी गई।

खेल और युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल के अलावा कृषि एवं उद्यान के एकीकरण का निर्णय हो चुका है। बावजूद इसके बात मंथन से आगे नहीं बढ़ी है। इस बीच सरकार ने जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण के सिलसिले में मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की है। वह भी तब जबकि एकीकरण का एक भी मॉडल अब तक धरातल पर आकार नहीं ले पाया है।

असल में एकीकरण को लेकर कर्मचारी संगठनों की तमाम आशंकाएं हैं। यह तो तय है कि एकीकरण के बाद नए विभाग का गठन होने से पदों की संख्या में कटौती होनी ही है। इसके साथ ही वरिष्ठता समेत अन्य कई मसले भी मुंहबाए खड़े हैं। कुछेक विभाग ऐसे भी हैं, जिनकी माली हालत ठीक नहीं है। ऐसे में उनके विलय अथवा एकीकरण से जो व्ययभार आएगा, उसकी भरपाई कैसे होगी। इस तरह के एक नहीं अनेक सवाल हैं, जिनके समाधान को सशक्त होमवर्क की जरूरत है।

हालांकि, कृषि एवं उद्यान के एकीकरण की कवायद चल रही, लेकिन कर्मचारी संगठनों के आक्रोश व आशंकाओं को अभी तक दूर नहीं किया जा सका है। अब पेयजल निगम व जल संस्थान के एकीकरण के मसले को लें तो निगम का पूरा व्ययभार उसे मिलने वाले सेंटेज पर निर्भर है। अलबत्ता, जल संस्थान के पास वित्तीय दिक्कत नहीं है। सूरतेहाल एकीकरण के बाद व्ययभार, वरिष्ठता समेत अन्य मसलों को कैसे हल किया जाएगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

राजकीयकरण के साथ हो एकीकरण

जल संस्थान और पेयजल निगम के एकीकरण को मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित होने के बाद से दोनों विभागों के कर्मचारी संगठनों में उबाल है। उनका कहना है कि पूर्व में भी एकीकरण की बात हुई थी। तब तत्कालीन पेयजल मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत की मौजूदगी में हुई वार्ता में इस पर सहमति बनी थी कि राजकीयकरण के साथ दोनों विभागों का एकीकरण हो। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि वे अपनी इस बात पर आज भी अडिग हैं और राजकीयकरण से कम पर एकीकरण को किसी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

  • प्रवीन सिंह रावत (संरक्षक पेयजल निगम कर्मचारी महासंघ उत्तराखंड) का कहना है कि राजकीयकरण के साथ ही दोनों विभागों का एकीकरण होना चाहिए और ये बात महासंघ पूर्व में शासन और सरकार के सम्मुख रख चुका है। इस पर सहमति भी बनी थी, लेकिन वित्त विभाग ने राजकीयकरण पर मंजूरी नहीं दी। यदि सरकार वास्तव में एकीकरण चाहती है तो वह राजकीयकरण के साथ एकीकरण करे।
  • गजेंद्र कपिल (प्रांतीय महामंत्री उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संघ) का कहना है कि देश के 23 राज्यों में आवश्यक सेवा में आने वाला पेयजल विभाग राजकीय है। उत्तराखंड में भी ऐसा करने पर वित्तीय व्ययभार नहीं पड़ेगा। राजकीयकरण के साथ जल संस्थान व पेयजल निगम का एकीकरण होता है तो इसे स्वीकार किया जाएगा, लेकिन सिर्फ एकीकरण होता है तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में गरजे एससी-एसटी कर्मचारी, कहा- कानून बनाकर पदोन्नति में आरक्षण हो बहाल

  • सुबोध उनियाल (कृषि मंत्री और जल संस्थान-पेयजल निगम एकीकरण को गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति के अध्यक्ष) का कहना है कि समान कार्य करने वाले विभागों का एकीकरण राज्य के हित में है। कृषि एवं उद्यान के एकीकरण की कवायद अंतिम दौर में है और जल्द ही इस पर फैसला होगा। जहां तक पेयजल निगम व जल संस्थान के एकीकरण की बात है तो दोनों विभागों के कर्मचारी संगठनों से बात कर उनकी आशंकाओं को दूर किया जाएगा। प्रत्येक पहलू पर विमर्श के बाद ही एकीकरण पर निर्णय लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें: पदोन्नति में आरक्षण का विरोध तेज, दो मार्च को देशभर में होगा प्रदर्शन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.