ऋषिकेश : टिहरी बांध विस्थापितों को मिले भूमिधरी का अधिकार
टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र पशुलोक व श्यामपुर में विस्थापित किए गए परिवारों की समस्याओं को लेकर तहसीलदार ऋषिकेश डा. अमृता शर्मा ने सुनवाई की। इस दौरान विस्थापितों ने उन्हें विस्थापित क्षेत्र में ग्राम पंचायतों का गठन कर विस्थापितों को भूमि धरी का अधिकार दिए जाने संबंधी ज्ञापन सौंपा।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। टिहरी बांध विस्थापित क्षेत्र पशुलोक व श्यामपुर में विस्थापित किए गए परिवारों की समस्याओं को लेकर तहसीलदार ऋषिकेश डा. अमृता शर्मा ने सुनवाई की। इस दौरान विस्थापितों ने उन्हें विस्थापित क्षेत्र में ग्राम पंचायतों का गठन कर विस्थापितों को भूमि धरी का अधिकार दिए जाने संबंधी ज्ञापन सौंपा।
सुनवाई के दौरान विस्थापित समन्वय विकास समिति के अध्यक्ष हरि सिंह भंडारी ने अवगत कराया कि टिहरी बांध परियोजना के निर्माण के बाद डूब क्षेत्र की आठ ग्राम पंचायतों को पशुलोक तथा श्यामपुर में पुनर्वासित किया गया था। यहां पर पुनर्वासित किए गए तीन हजार परिवारों को विस्थापन के 21 साल बाद भी आज तक भूमिधरी का अधिकार नहीं मिल पाया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में सात राजस्व ग्रामों की अधिसूचना शासन ने जारी की गई थी। मगर, अभी तक यहां ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाया है, जिससे क्षेत्र में सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार की विभिन्न लाभकारी तथा विकास परियोजनाओं से भी विस्थापितों को वंचित रहना पड़ रहा है।
उन्होंने पुनर्वासित परिवारों को यथाशीघ्र अधिकार युक्त भूमिधरी का अधिकार दिए जाने, पंचायतों का गठन करने, विस्थापित क्षेत्र में आंगनबाड़ी, महिला मिलन केंद्र, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, पार्क व पार्किंग, पितृ देवालय, पोस्ट आफिस, मंदिर, पंचायत घर, क्रीड़ा स्थल, बरात घर आदि का निर्माण कराए जाने की मांग की। इसके अलावा विस्थापितों ने क्षेत्रवासियों की सुविधा के लिए यहां प्रशासक की नियुक्ति किए जाने, पुनर्वास स्थल पर मौजूद सामुदायिक सुविधाओं के रखरखाव व विकास के लिए संबंधित विभागों को प्राथमिकता के साथ निराकरण की मांग की।
बैठक में समिति के सचिव जगदंबा सेमवाल, कोषाध्यक्ष शूरवीर सिंह नेगी, सत्य प्रसाद बिजलवाण, तुलसी नौटियाल, विजयपाल, बलवंत सिंह, भोला सिंह परिहार, राजेंद्र सिंह तड़ियाल, बचन लाल, मंगल सिंह, प्रदीप पडियार, महावीर नेगी, अनिल पडियार, कुशाल सिंह, मनीष मैथाणी, गंभीर सिंह गुलियाल, धर्मेंद्र गुलियाल, बलराम रतूड़ी आदि मौजूद रहे।