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अब प्रत्येक जनपद से शिक्षक होंगे सम्मानित

उत्तराखंड राज्य प्राथमिक संघ ने शैक्षिक उन्नयन के लिए नई पहल की है।

By Edited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 03:04 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:15 PM (IST)
अब प्रत्येक जनपद से शिक्षक होंगे सम्मानित
अब प्रत्येक जनपद से शिक्षक होंगे सम्मानित
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड राज्य प्राथमिक संघ ने शैक्षिक उन्नयन के लिए नई पहल की है। संगठन अब हर वर्ष प्रत्येक जनपद से दो शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित करेगा। इनमें एक महिला व एक पुरुष शिक्षक होंगे। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों को भी सम्मानित किया जाएगा। यह निर्णय प्रांतीय अधिवेशन के तहत आयोजित बैठक में लिया गया। संगठन का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन मंगलवार को रेसकोर्स स्थित शिक्षक भवन में शुरू हुआ। पहले दिन संविधान संशोधन के प्रस्तावों पर चर्चा की गई। इसके अलावा शैक्षिक उन्नयन पर एक गोष्ठी भी आयोजित की गई। यह प्रस्ताव आया कि संगठनात्मक चुनाव में डेलिगेट के बजाय सभी शिक्षक प्रतिभाग करें। लेकिन इस प्रक्रिया को महंगी व जटिल बता खारिज कर दिया गया। यह अलग बात है कि डेलिगेट की संख्या अब बढ़ा दी गई है। पहले दस शिक्षकों पर एक डेलिगेट चुना जाता था, पर अब पांच पर एक चुना जाएगा। इस दौरान शिक्षकों की लंबित मांगों पर भी चर्चा की गई। संगठनात्मक मजबूती के साथ इस ओर संघर्षशील रहने का संकल्प लिया गया। बुधवार को संगठन की निर्वाचन की कार्रवाई होगी। जिसमें अध्यक्ष, महामंत्री व कोषाध्यक्ष का चुनाव होगा। सुबह नामांकन, दिन में मतदान और शाम तक परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। इस दौरान संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष निर्मला महर, महामंत्री दिग्विजय चौहान समेत तमाम जनपद से आए शिक्षक मौजूद रहे। यह उठीं मांगें - वर्ष 2003 सितंबर के बाद नियुक्त शिक्षकों को डीएलएड-ब्रिज कोर्स से मुक्त किया जाए। - 4600 ग्रेड पे पर सभी शिक्षकों को 17,140 के वेतन निर्धारण का लाभ। - अंशदायी पेंशन योजना को बंदकर पुरानी पेंशन योजना का लाभ प्रदान किया जाए। - घटती छात्रसंख्या की आड़ में विद्यालयों को बंद करने व विलीनीकरण पर रोक लगे। - प्रारंभिक शिक्षकों के लिए एलटी संवर्ग कोटा 50 प्रतिशत निर्धारित किया जाए। - प्रत्येक प्राथमिक व जूहा स्कूल में प्रधानाध्यापक का पद सृजित किया जाए। - कोटिकरण की विसंगति को दूर कर पूर्व में दुर्गम श्रेणी के विद्यालयों का आकलन दुर्गम में ही किया जाए। - राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को पूर्व की भांति सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं। - प्राथमिक शिक्षा के लिए बनने वाली किसी भी नीति अथवा विचार विमर्श में शिक्षक संघ का प्रतिनिधित्व।

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