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आचार संहिता के बाद ही राज्य शिक्षक पुरस्कार

राज्य ब्यूरो देहरादून आखिर वर्ष 2017-18 के लिए शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार पर फैसला

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 10:17 PM (IST)
आचार संहिता के बाद ही राज्य शिक्षक पुरस्कार
आचार संहिता के बाद ही राज्य शिक्षक पुरस्कार

राज्य ब्यूरो, देहरादून: आखिर वर्ष 2017-18 के लिए शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार पर फैसला हो ही गया। 24 शिक्षकों को पुरस्कार देने के प्रस्ताव को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अनुमोदित कर दिया। अलबत्ता, चयनित शिक्षकों को पुरस्कार के लिए पंचायत चुनाव आचार संहिता खत्म होने का इंतजार करना पड़ेगा। 21 और 22 अक्टूबर के बाद ही उक्त संबंध में आदेश जारी होंगे।

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प्रदेश में शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार को लेकर लंबे समय तक असमंजस बना हुआ था। पुरस्कृत होने वाले शिक्षकों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद दो वर्ष की सेवा वृद्धि देने के फैसले को बरकरार रखा गया है। यह पेच दूर होने के बाद शिक्षा मंत्री ने भी उक्त प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए शिक्षा महकमे ने 24 शिक्षकों का चयन कर सूची शासन को भेजी थी। माध्यमिक स्तर पर चयनित शिक्षकों में चमोली से भास्करानंद डिमरी, रुद्रप्रयाग से सुधा सेमवाल, पौड़ी से पुष्कर नेगी, टिहरी से डॉ यशवंत नेगी, हरिद्वार से रोहिताश्व कुंवर, अल्मोड़ा से जमुना प्रसाद तिवारी, नैनीताल से सुरेश रौतेला, चंपावत से राधेश्याम खर्कवाल, बागेश्वर से शोभा देवी, देहरादून से गोविंद सिंह रावत शामिल हैं। इसीतरह प्रारंभिक स्तर पर चयनित शिक्षकों में चमोली से ममता मिश्रा, रुद्रप्रयाग से माधव सिंह नेगी, टिहरी से उषा द्विवेदी, हरिद्वार से उर्मिला पुंडीर, अल्मोड़ा से इमराना परवीन, चंपावत से विनोद कुमार, बागेश्वर से नीता आत्मीय, देहरादून से सर्वेश्वरी देवी, ऊधमसिंह नगर से संजीव पांडे व उत्तरकाशी से चंद्रकला शाह शामिल हैं। संस्कृत शिक्षा से चंपावत के कीर्ति वल्लभ जोशी और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान श्रेणी से डॉ वीर सिंह रावत को पुरस्कार के लिए चुना गया है।

दरअसल, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने पुरस्कार हासिल करने वाले शिक्षकों का सेवानिवृत्ति के बाद सेवाकाल दो वर्ष नहीं बढ़ाने के निर्देश महकमे को दिए थे। शिक्षा मंत्री ने सेवा वृद्धि के बजाय अन्य तरीके से प्रोत्साहन दिए जाने पर विचार करने की बात कही थी। पुरस्कार के एवज में दो वर्ष की सेवावृद्धि नहीं मिलने का शिक्षक संगठनों ने विरोध किया था। उनका कहना है कि उक्त प्रावधान के चलते शिक्षकों में सेवापर्यत बेहतर प्रदर्शन करने की इच्छाशक्ति बढ़ती है। बाद में शिक्षकों की मांग को मंजूर करते हुए मुख्यमंत्री ने दो वर्ष के सेवा विस्तार को बहाल रखने के निर्देश दिए थे। सरकार की ना और हां के बीच लंबा फासला होने का नतीजा ये रहा कि शिक्षक दिवस पांच सितंबर तक शैलेश मटियानी पुरस्कारों को शासन की मंजूरी नहीं मिल पाई थी।


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