उत्तराखंड में 2500 शिक्षकों पर समायोजन की तलवार, फैसले को सख्ती से लागू करने के निर्देश
प्राथमिक शिक्षकों के समायोजन को लेकर सरकार के फरमान की जद में करीब डेढ़ हजार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक आ रहे हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्राथमिक शिक्षकों के समायोजन को लेकर सरकार के फरमान की जद में करीब डेढ़ हजार प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के ढाई हजार से ज्यादा शिक्षक आ रहे हैं। इन शिक्षकों का समायोजन दूरदराज विद्यालयों में होने से कई विद्यालयों को शिक्षकों की कमी से निजात मिल जाएगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि सरकार के इस फैसले को शिक्षा महकमे में सख्ती से लागू किया जाएगा।
कोरोना महामारी से प्रदेश में राजस्व वसूली को झटका लगने के बाद सरकार ने महकमों के तमाम खर्चों में कटौती कर दी है। इसकी जद में शिक्षा महकमा भी है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की ओर से बीते रोज जारी आदेश में कहा गया कि प्राथमिक शिक्षा पर किए जा रहे भारी खर्च के मद्देनजर शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने और उसे निजी विद्यालयों से प्रतिस्पर्धा योग्य बनाने की जरूरत है। इसके लिए शिक्षक व छात्र अनुपात का कड़ाई से पालन किया जाएगा। सरप्लस शिक्षकों का यथासंभव समायोजन आवश्यकतानुसार अन्यत्र विद्यालयों में रिक्त पदों पर होगा। साथ में शिक्षकों के पठन-पाठन की कार्यशैली का विश्लेषण हर तीन महीने में किया जाएगा।
सरकार के इस आदेश के बाद कम छात्रसंख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों पर बंदी को लेकर शिक्षा महकमे को ढुलमुल रुख छोडऩा होगा। राज्य में एक किमी के दायरे के भीतर 10 से कम छात्रसंख्या वाले 600 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इन्हें नजदीकी विद्यालयों में विलय करने के आदेश दिए जा चुके हैं, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा सका। इसी तरह एक ही परिसर में अलग-अलग संचालित हो रहे 830 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को भी आपस में समायोजित किया जाएगा।
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इन विद्यालयों में कार्यरत करीब ढाई हजार सरप्लस शिक्षकों को अन्यत्र एकल शिक्षक या कम शिक्षकों वाले विद्यालयों में समायोजित करने को अब महकमे को कदम उठाने पड़ेंगे। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि कम छात्रसंख्या वाले विद्यालयों को बंद और एक ही परिसर में चल रहे विद्यालयों को विलय करने के आदेश पहले दिए जा चुके हैं। ढाई साल से जारी कवायद को अब अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। वित्तीय अनियमितता और संसाधनों का दुरुपयोग रोकने को उक्त कदम उठाए जाएंगे।
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