टीबी के मरीजों को निजी उपचार पर भी मिलेगा पोषण भत्ता
उत्तराखंड में क्षय रोग के मरीजों के उपचार के लिए जो भी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जा रही हैं वह सुविधाएं निजी चिकित्सकों द्वारा उपचार प्राप्त कर रहे मरीजों को भी दी जाएगी।
देहरादून, जेएनएन। टीबी के मरीजों को समुचित उपचार के लिए उत्तराखंड में भी कवायद शुरू हो गई है। क्षय रोग के मरीजों के उपचार के लिए जो भी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जा रही हैं वह सुविधाएं निजी चिकित्सकों द्वारा उपचार प्राप्त कर रहे मरीजों को भी दी जाएगी।
प्रदेश में क्षय रोग (टीबी) के मरीजों को सही उपचार व देखभाल के लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य टीबी फोरम की पहली बैठक प्रभारी स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें निजी उपचार करा रहे मरीजों को भी सरकार से मिलने वाली सुविधा देने की बात सामने आई।
बता दें, वर्तमान में राज्य में क्षय रोग के 22 हजार 244 मरीज पंजीकृत है। वहीं, इससे अधिक मरीजों का उपचार निजी अस्पतालों से चल रहा है। इसे देखते हुए सरकार के स्तर पर टीबी फोरम के माध्यम से क्षय रोग के मरीजों को उचित उपचार व इलाज अधूरा छोड़ देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
प्रभारी स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि क्षय रोग के मरीजों को सही व पूर्ण उपचार देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। जिसके लिए निजी क्षेत्र के चिकित्सकों व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं का भी पूरा सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने निजी क्षेत्र के चिकित्सकों को भी क्षय रोग के मरीजों को चिन्हित कर उन्हें नोटिफाई करने के लिए कहा है।
इससे वर्ष 2024 तक राज्य को टीबी मुक्त प्रदेश बनाया जा सकेगा। कहा कि क्षय रोग के मरीजों के उपचार के लिए जो भी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जा रही हैं वह सुविधाएं निजी चिकित्सकों द्वारा उपचार प्राप्त कर रहे मरीजों को भी दी जाएगी।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों व निजी चिकित्सकों के बीच बेहतर समन्वय होना चाहिए। कहा कि क्षय रोग के मरीजों के उपचार व जांच के लिए सीवी नेट जैसी आधुनिक सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। अभी तक निजी चिकित्सकों द्वारा सरकार की आइआरएल लैब व मरीजों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं का यथोचित लाभ नहीं लिया जा रहा है।
एनएचएम निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल ने क्षय रोग के मरीजों को उपचार के दौरान प्रतिमाह पोषण भत्ता के रूप में दिए जाने वाले 500 रुपये के बारे में जानकारी दी। कहा कि निजी चिकित्सकों से उपचार करा रहे मरीजों को भी यह भत्ता दिया जाएगा। यह तभी संभव है कि जबकि निजी चिकित्सक ऐसे मरीजों को नोटिफाई कर सूचना सरकार को देंगे।
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बैठक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीएस जज के अलावा दून मेडिकल कॉलेज, एम्स ऋषिकेश, एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज, डब्ल्यूएचओ के अधिकारी व स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। क्षय रोग उपचारित मरीजों ने भी बैठक में भाग लिया, जिन्हें टीबी के सही व पूर्ण उपचार प्राप्त करने के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाने का निर्णय भी लिया गया।
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बीमारी को छुपाते हैं कई मरीज
क्षय रोग से पीड़ित मरीज अपनी बीमारी को छुपाता है। इस कारण पूरा व सही उपचार नहीं लेने से मरीज में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी की अवस्था आ जाती है। यह स्थिति मरीज के लिए घातक हो जाती है तथा उसके आसपास रहने वाले परिवारजनों को भी क्षय रोग होने की संभावना बन जाती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य स्तर पर टीबी फोरम का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य क्षय रोग के मरीजों की खोज, पहचान व नोटिफिकेशन कर उन्हें सही व पूर्ण उपचार देना है।