भारत से सेवा व शांति का संदेश ले जाएं साधक: कोश्यारी
परमार्थ निकेतन में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन विश्व के 60 देशों से पहुंचे 950 से अधिक योग साधक गंगा तट पर योग की विभिन्न विद्याओं से रूबरू हुए। प्रात पांच बजे से शुरू हुई योग कक्षाओं में साधकों ने जीवन को स्वस्थ व निरोगी रखने के गुर सीखे।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दूसरे दिन विश्व के 60 देशों से पहुंचे 950 से अधिक योग साधक गंगा तट पर योग की विभिन्न विद्याओं से रूबरू हुए। प्रात: पांच बजे से शुरू हुई योग कक्षाओं में साधकों ने जीवन को स्वस्थ व निरोगी रखने के गुर सीखे।
सोमवार को परमार्थ निकेतन में महाराष्ट्र के राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, आर्ट ऑफ लीविग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर, स्वामी चिदानंद सरस्वती ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया। कोश्यारी ने कहा कि उत्तराखंड की पवित्र भूमि स्विट्जरलैंड जैसी खूबसूरत होने के साथ ही आध्यात्मिक भूमि भी है। वहीं उत्तराखंड शांति का धाम है, इसलिए साधक यहां दिव्यता, भव्यता और शांति का संदेश अपने साथ लेकर जाएं। उत्तराखंड के पास प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है आप उसका अवश्य दर्शन करें तथा सेवा और शांति के मार्ग पर बढ़ते रहें। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग, एकता और एकजुटता का संदेश देता है। सभी के साथ दयालुता का व्यवहार करना, पूरे विश्व में शांति की स्थापना के लिए प्रार्थना करना ही योग का मर्म है। अपने कल्चर, नेचर और फ्यूचर को सुरक्षित करना ही योगी की धर्म है। उन्होंने कहा कि धर्म, जाति, भेदभाव की दीवारों और बंधनों को तोड़ते हुए हमें एक दूसरे के सहयोगी, मानवता के लिए उपयोगी बनकर योगी और योग की सार्थकता सिद्ध करनी होगी। इस अवसर पर स्वामी गौर गोपाल दास व साध्वी भगवती सरस्वती ने भी योग साधकों का मार्गदर्शन किया।
भय को भाव और हिसा को अहिसा में बदलने की जरूरत
परमार्थ निकेतन में पहुंचे आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और स्वामी चिदानंद सरस्वती के बीच विभिन्न मुद्दों पर विचार मंथन हुआ। श्रीश्री रविशंकर ने देश में चल रहे तात्कालिक विषयों पर विचार विमर्श करते हुए कहा कि आज पूरे देश में नागरिकता संशोधन विधेयक और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर भय और संदेह व्याप्त है, देश में सौहार्दपूर्ण माहौल को भी खराब कर रहा है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि हम सभी आध्यात्मिक गुरु मिलकर प्रयास करें तो देश में व्याप्त भय को भाव में और हिसा को अहिसा में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं द्वारा यह संदेश दिया जाए कि अध्यात्म के मार्ग पर चलते हुए अहिसा को अपनाकर सारी समस्याओं को हल किया जा सकता है। धर्मगुरु ही जनमानस में व्याप्त भय और अविश्वास को दूर कर सकते है।
कुंडलिनी योग के अभ्यास से हुई दिन की शुरुआत
परमार्थ निकेतन में सोमवार को योग कक्षाओं का शुभारंभ योगाचार्य गुरुशब्द सिंह खालसा के कुण्डलिनी योग के साथ हुआ। डॉ. ईडन गोल्डमैन ने चिकित्सा विन्यास, ऋषिकेश मूल के चीन से आए प्रख्यात योगाचार्य मोहन भंडारी ने योगी योगा, योगाचार्य दाना फ्लिन ने सोल स्वेट, संदीप देसाई ने ओरिजिनल चेन स्टाइल टीआइची, अमेरिकी योगाचार्य एवं संगीतज्ञ आनन्द्रा जार्ज ने सूर्य उदय नाद योग साधना, अमेरिकी योगाचार्य टोमी रोजन ने कुंडलिनी एक्सप्रेस, योगाचार्य जैनेट एटवुड द्वारा योग ऑफ द मांइड तथा योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती ने योगनिद्रा का अभ्यास कराया। वहीं आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सत्संग श्रृंखला में भारतीय जीवन शैली कोच एवं मोटिवेशनल स्पीकर, गौर गोपाल दास, फिल्म कंपोजर एंड्रयू हेविट, अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती, आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भारत मित्रा, योगाचार्य गुरुमुख कौर खालसा ने अपने अनुभवों को योगियों के साथ साझा किया।