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सिस्टम ने कराया एक दशक का लंबा इंतजार, फिर भी धरातल पर नहीं उतरा पुल

जानकी पुल का सपना एक दशक बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाया। भले ही लंबे इंतजार के बाद काम शुरू हो गया है। लेकिन अब इसकी लागत और भी बढ़ गर्इ है।

By Edited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 08:14 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 04:06 PM (IST)
सिस्टम ने कराया एक दशक का लंबा इंतजार, फिर भी धरातल पर नहीं उतरा पुल
सिस्टम ने कराया एक दशक का लंबा इंतजार, फिर भी धरातल पर नहीं उतरा पुल
ऋषिकेश, जेएनएन। पौड़ी के यमकेश्वर प्रखंड और टिहरी के मुनिकीरेती क्षेत्र को जोड़ने वाले जानकी पुल का सपना एक दशक बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाया। दो विधानसभाओं और गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र को प्रभावित करने वाले इस पुल पर भले ही लंबे इंतजार के बाद काम शुरू हो गया है। मगर, सिस्टम की लेटलतीफी ही कहेंगे कि जिस पुल को 35 करोड़ में बनकर तैयार होना था, उसकी लागत अब 51 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। 
साल 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी ने रामझूला और लक्ष्मणझूला की तर्ज पर जानकी झूला पुल की स्वीकृति दी थी। जिसकी लागत करीब तीन करोड़ रुपये था। बाद में झूला पुल के निर्माण पर रोक लगी। स्वर्गाश्रम के वेद निकेतन से मुनिकीरेती के पूर्णानंद मैदान तक थ्री लेन पुल की कार्ययोजना तैयार की गई। 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार ने करीब 35 करोड़ की लागत से बनने वाले इस नए पुल की योजना को मंजूरी दी। 
साल 2013 में ही निर्माण कार्य का जिम्मा हिलवेज कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया। उस वक्त 28.5 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया। इसी साल जून माह की आपदा में निर्माण स्थल के दोनों ओर काफी दूरी तक पानी आ गया। जिस कारण पुल का डिजाइन में फिर से बदलाव करना पड़ा। पहले इस पुल की लंबाई 309.40 थी। जिसे बढ़ाकर 346 मीटर किया गया। इसकी चौड़ाई 3.9 मीटर रखी गई। पुल के दोनों किनारे पैदल आने-जाने के लिए टू लेन बननी है और बीच में दुपहिया और ठेलियों के लिए रास्ता बनेगा। 
जरूरत पड़ने पर यहां से एंबुलेंस या फिर अतिविशिष्ट अतिथि के वाहन को निकाला जा सकेगा। मगर, इस एक दशक की खिंचतान में करीब तीन वर्ष तक पुल का निर्माण भी ठप रहा। आलम यह है कि पुल की लागत 35 करोड़ से बढ़कर 51 करोड़ पहुंच गई है। हालांकि विगत माह से जानकी सेतु पर पुन: कार्यदायी संस्था ने काम शुरू कर दिया है। जिसे पूरा करने के लिए दिसंबर तक की डेडलाइन दी गई है। 
कई मायनों में फायदेमंद है जानकी सेतु 
यमकेश्वर प्रखंड की लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण यहां के लोग ऋषिकेश की चिकित्सा व्यवस्था पर निर्भर हैं। ऋषिकेश तक आने के लिए गरुड़चट्टी पुल या फिर बैराज होते हुए लंबा रास्ता तय करना लोगों की मजबूरी है। रात में राजाजी पार्क के अंतर्गत आने वाला बैराज का रास्ता भी वन्य जीवों के कारण बंद रहता है। जानकी सेतु के निर्माण से यमकेश्वर प्रखंड को बड़ा फायदा मिलेगा। कुंभ मेला और चारधाम यात्रा में श्रद्धालु लक्ष्मणझूला स्वर्गाश्रम आते हैं। कांवड़ मेला यात्रा में रामझूला और लक्ष्मणझूला दोनों पुल पैक रहते हैं ऐसे में स्थानीय लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं। इस नए पुल के बनने से तीर्थाटन और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। 
लोनिवि के अधिशासी अभियंता आरिफ खान ने बताया कि जानकी सेतु का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। आगामी सप्ताह तक पुल के दोनों ओर टावर खड़े करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पुल के रस्से भी पहुंच चुके हैं। कार्यदायी संस्था को जल्द ही भुगतान भी किया जा रहा है। दिसंबर तक कार्यदायी संस्था को काम पूरा करना है।

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