Move to Jagran APP

उत्तराखंड में पहले पायदान पर लड़खड़ाई बिजली के बिल की मासिक व्यवस्था

उत्तराखंड में चार किलोवाट से अधिक भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं को मासिक बिल देने की योजना पहले महीने में लड़खड़ा गई। अभी मात्र 15 से 20 फीसद बिल ही बांटे जा सके हैं।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 11:43 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 11:43 AM (IST)
उत्तराखंड में पहले पायदान पर लड़खड़ाई बिजली के बिल की मासिक व्यवस्था
उत्तराखंड में पहले पायदान पर लड़खड़ाई बिजली के बिल की मासिक व्यवस्था

देहरादून, अंकुर शर्मा। उत्तराखंड में ऊर्जा निगम की चार किलोवाट से अधिक भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं को मासिक बिल देने की योजना पहले महीने में लड़खड़ाती दिख रही है। प्रदेश में पचास हजार से अधिक उपभोक्ताओं को मासिक बिल बांटे जाने हैं, लेकिन करीब तीन हफ्ते बीत चुके हैं और अभी मात्र 15 से 20 फीसद बिल ही बांटे जा सके हैं।

prime article banner

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड पूर्व में सिर्फ सिंगल प्वाइंट बल्क कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को ही मासिक बिल देता था। अन्य श्रेणी के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को दो महीने में बिजली का बिल दिया जाता था। लंबे समय से अन्य श्रेणी के घरेलू उपभोक्ताओं को भी मासिक बिल देने की मांग उठ रही थी। 

इस पर यूपीसीएल प्रबंधन ने 20 अगस्त को चार किलोवाट से अधिक भार वाले घरेलू उपभोक्ताओं को अक्टूबर से मासिक बिल देने के आदेश दिए थे। पहले चरण में प्रदेश के 26 विद्युत वितरण खंडों के 50,083 उपभोक्ताओं को मासिक बिल बांटे जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इधर, अक्टूबर महीने के करीब तीन हफ्ते बीतने को हैं और सिर्फ 15-20 फीसदी उपभोक्ताओं को ही मासिक बिल बांटे जा सके हैं। 

इसके पीछे प्रबंधन का तर्क है कि सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामियों और विद्युत नियामक आयोग के नियमों का पालन करने की वजह से समय से बिल नहीं बनाए जा सके हैं। जब बिल समय से नहीं बनाए गए तो घर-घर जाकर समय से बिल वितरण में भी देरी हुई है। 

अब अक्टूबर में सिर्फ 10 दिन ही शेष हैं इनमें भी चार दिनों का दीपावली, गोवर्धन, भैया दूज और साप्ताहिक अवकाश है। ऐसे में बचे हुए छह दिनों में बाकी के 40 हजार से ज्यादा उपभोक्ताओं को मासिक बिल कैसे बांटे जाएंगे, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि ऊर्जा निगम ने नए सिस्टम को लागू तो किया मगर व्यवस्था बनाने के लिए कोई काम नहीं किया। 

पहले चरण में इन विद्युत वितरण खंड में बंटने हैं मासिक बिल

रायपुर, विकासनगर, ऋषिकेश, डोईवाला, मोहनपुर, दून उत्तर, दून दक्षिण, दून केंद्रीय, कोटद्वार, रुड़की नगर एवं ग्रामीण, भगवानपुर, रुड़की में रामनगर, हरिद्वार नगर एवं ग्रामीण, लक्सर, ज्वालापुर, हल्द्वानी ग्रामीण एवं नगर, रामनगर, काशीपुर, बाजपुर, जसपुर, रुद्रपुर, सितारगंज, खटीमा।

तो नहीं दूर होगा ऊर्जा का आर्थिक संकट 

मासिक वितरण को लेकर ऊर्जा निगम भी खासा उत्साहित था। ऊर्जा निगम प्रबंधन का दावा है कि दो माह में बिल बनने के बाद वितरण करने में दो हफ्ते का समय और लग जाता है। फिर उपभोक्ता भी बिल जमा करने में हफ्ता दो हफ्ता लगा देता है। इस तरह बिल जमा करते-करते तीन माह की अवधि बीत जाती है। इसमें होता यह है कि उपभोक्ता पर तो बकाया नहीं होता है, लेकिन ऊर्जा निगम को इन तीनों महीनों में बिजली आपूर्ति करनी है। 

वहीं मासिक बिल की रकम नहीं मिलने से ऊर्जा निगम को तीन महीने तक बैंक ऋण या दूसरे संस्थान से उधार में बिजली क्रय करनी पड़ती है। इस पर निगम का उधार चढ़ता रहता है। यदि मासिक बिल बंटे और राशि मिल जाए तो ऊर्जा निगम को भी उधार की बिजली खरीद से बच सकता है। आर्थिक संकट दूर हो जाएगा।

दून में 22,835 उपभोक्ताओं को बांटे जाने हैं बिल

राजधानी दून के आठ विद्युत वितरण खंडों में 22,835 उपभोक्ताओं को बिल बांटा जाना है। दून में बिल वितरण का काम शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक यहां भी 30-40 फीसद उपभोक्ताओं को बिल बांटे गए हैं।

ऑनलाइन पेमेंट को बना रहे विकल्प

ऊर्जा निगम बिल वसूली के लिए डिजिटल पेमेंट को विकल्प बना रहा है। आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्तीय साल में महज 8 फीसदी ही ऑन लाइन पेमेंट होता था। निगम ने ऑन लाइन बिल पेमेंट की सुविधा का प्रचार कर 31 फीसदी तक पहुंचाया। अब 35 से 40 फीसदी भुगतान ऑन लाइन हो रहा है। निगम का मानना है कि ऑन लाइन भुगतान से मासिक वसूली में मदद मिलेगी। 

यह भी पढ़ें: ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में बिजली चोरी रोकने को शुरू हुई ऊर्जागिरी

सॉफ्टवेयर में बदलाब से हुई देरी 

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्र के अनुसार, बिल बांटने में थोड़ी देरी हुई है। सॉफ्टवेयर में बदलाव और अन्य कारणों से समय से बिल नहीं बनाए जा सके। अब बिल बनाकर मासिक वितरण शुरू हो गया है।

यह भी पढ़ें: एनटीपीसी को जल विद्युत परियोजना के 1000 करोड़ देने से पहले सरकार ने रखी शर्त


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.