एनएच 74 घोटाले में आरोपित कुछ अफसर हो सकते हैं बहाल
एनएच 74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में निलंबित दो पीसीएस अधिकारियों को राहत मिल सकती है। इन दोनों अधिकारियों की छवि व शासन को सौंपे गए जवाब के आधार पर इन्हें फिर बहाल किया जा सकता है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: एनएच 74 (हरिद्वार-ऊधमसिंह नगर-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग) चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में निलंबित दो पीसीएस अधिकारियों को राहत मिल सकती है। सूत्रों की मानें तो इन दोनों अधिकारियों की छवि व शासन को सौंपे गए जवाब के आधार पर इन्हें फिर बहाल किया जा सकता है।
उधर, मामले में आरोपित बनाए गए दो आइएएस अधिकारियों में से केवल एक के खिलाफ ही डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से अभियोजन की अनुमति मांगे जाने से दूसरे अधिकारी की बहाली की संभावनाओं को भी बल मिला है।
एनएच 74 मुआवजा घोटाले में आयुक्त कुमाऊं की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने बीते वर्ष मार्च में आठ पीसीएस अधिकारियों को निलंबित किया था। यह सत्ता संभालने के बाद प्रदेश सरकार का पहला बड़ा कदम था। इन सभी पीसीएस अधिकारियों को शासन की ओर से चार्जशीट सौंपी गई थी। इनकी जांच प्रमुख सचिव मनीषा पंवार कर रही हैं।
सूत्रों की मानें तो शासन ने इस मामले में जांच एजेंसी एसआइटी से कुछ अधिकारियों के संबंध में की गई जांच के दस्तावेज तलब किए हैं। इनमें से दो पीसीएस अधिकारियों के जवाब का अध्ययन करने के बाद इन पर हुई कार्रवाई को थोड़ा सख्त माना गया है। ऐसे में इन दोनों को बहाल किया जा सकता है।
इस प्रकरण में पीसीएस अधिकारियों के बाद मामले में आरोपित पाए गए दो आइएएस अधिकारियों को भी सरकार ने कुछ समय पहले निलंबित किया। शासन ने इनमें से केवल एक के खिलाफ ही डीओपीटी से अभियोजन करने की अनुमति मांगी है। सूत्रों की मानें तो दूसरे आइएएस अधिकारी पर लगे आरोपों पर भी शासन नरम रवैया अपनाते हुए उन्हें बहाल कर सकता है। हालांकि, अधिकारिक तौर पर कोई भी इस विषय में नहीं बोल रहा है।
जानिए क्या है एनएच घोटाला
एनएच मुआवजा घोटाला उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला है। हाईवे के चौड़ीकरण में मुआवजा राशि आवंटन में यह घोटाला हुआ। यह सबसे बड़ी एसआइटी जांच है। अब तक जांच में एसआइटी 211 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि कर 22 लोगों को जेल भेज चुकी है।
माना जा रहा है कि कई और किसान जहां जेल जा सकते हैं, वहीं घोटाला भी 300 करोड़ तक पहुंच सकता है। एनएच मुआवजा घोटाले में केस दर्ज होने के बाद 15 मार्च 2017 को घोटाले की जांच को एसआइटी का गठन किया गया था।
जांच के दौरान एसआइटी ने सात नवंबर को निलंबित पीसीएस भगत सिंह फोनिया समेत आठ अधिकारी और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू कर दिया था। करीब 545 दिन की जांच में एसआइटी अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। साथ ही दो आइएएस अफसर भी निलंबित हो चुके हैं। जांच अभी भी जारी है। माना जा रहा है कि फाइनल चार्जशीट से पहले एसआइटी कई और किसानों की गिरफ्तारी के साथ ही घोटाला 300 करोड़ होने की भी पुष्टि कर सकती है।
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