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पेश की मानवता की मिसाल, सुषमा और सुल्ताना ने एक-दूसरे के पति को किडनी देकर बचायी जान

देहरादून के डोईवाला स्थित हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में सफल स्वैप ट्रांसप्लांट किया गया। सुषमा और सुल्ताना ने एक-दूसरे के पति को किडनी देकर जान बचायी। इस सफल किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों लोगों की किडनी सामान्य रूप से काम कर रही हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 04:05 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 04:05 PM (IST)
पेश की मानवता की मिसाल, सुषमा और सुल्ताना ने एक-दूसरे के पति को किडनी देकर बचायी जान
हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में सफल स्वैप ट्रांसप्लांट करने वाली डाक्‍टरों की टीम और दोनों दंपती।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। इन्सानियत से बढ़कर कोई धर्म और मजहब नहीं, इसकी बानगी पेश की है हिंदू-मुस्लिम परिवार की दो महिलाओं सुषमा व सुल्ताना ने। इन दोनों महिलाओं ने अपनी एक-एक किडनी एक-दूसरे के पतियों को देकर उनके प्राणों पर आए संकट को दूर कर दिया। दोनों के पतियों अशरफ अली व विकास उनियाल का हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में सफल स्वैप ट्रांसप्लांट हुआ है। दोनों अब पूरी तरह स्वस्थ हैं।

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देहरादून के डोईवाला निवासी अशरफ अली (51) दोनों किडनी खराब होने के कारण बीते दो साल से हेमोडायलिसिस पर थे। उनके पास किडनी टांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था। उनकी पत्नी सुल्ताना खातून अपनी एक किडनी देने के लिए तैयार थी, लेकिन ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने से यह संभव नहीं हो पा रहा था। परिवार में समान ब्लड ग्रुप वाला कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं था।

इसी बीमारी से पीड़ित एक अन्य मरीज पौड़ी के कोटद्वार निवासी विकास उनियाल (50) की भी दोनों किडनी खराब हो चुकी थी। वह भी पिछले दो साल से हेमोडायलिसिस पर थे। विकास की पत्नी सुषमा का ब्लड ग्रुप भी मैच नहीं होने के कारण वह अपनी किडनी नहीं दे सकती थीं। दोनों परिवार ऐसे डोनर की तलाश कर रहे थे, जिसका ब्लड ग्रुप मैच हो सके।

बार-बार हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया इनकी ताकत पर भी भारी पड़ रही थी। लेकिन, लड़ने की प्रबल इच्छाशक्ति ने इन्हेंं आगे बढ़ाया। हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट के इंटरवेंशनल नेफ्रोलाजिस्ट डा. शहबाज अहमद ने बताया कि किडनी डोनर के लिए प्रयासरत दोनों परिवारों को एक-दूसरे से मिलाया गया। जांच में पता चला कि सुषमा का ब्लड ग्रुप अशरफ और सुल्ताना का विकास से मैच हो रहा है। दोनों परिवारों को तुरंत ही उम्मीद की किरण नजर आई। फिर सुषमा और सुल्ताना एक-दूसरे के पति को किडनी देने के लिए तैयार हो गईं। इसके बाद इस स्वैप ट्रांसप्लांट को करने के लिए यूरोलाजी व नेफ्रोलाजी की एक संयुक्त टीम बनाई गई।

वरिष्ठ यूरोलाजिस्ट एवं किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डा. किम जे. मामिन ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उत्तराखंड राज्य प्राधिकरण समिति से अनुमति ली गई। सर्जरी के दौरान दो अलग-अलग आपरेटिंग रूम में सुल्ताना व सुषमा पर अलग-अलग डोनर नेफरेक्टोमी (किडनी निकालने की प्रक्रिया) की गई। फिर सुल्ताना की किडनी विकास उनियाल और सुषमा की अशरफ अली में ट्रांसप्लांट कर दी गईं। इस सफल स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों किडनी सामान्य रूप से काम कर रही हैं। दोनों ही परिवार अत्याधिक खुश हैं।

शरीर में मास्टर केमिस्ट अंग हैं किडनी

हिमालयन हास्पिटल के वरिष्ठ यूरोलाजिस्ट डा. मनोज विश्वास ने बताया कि गुर्दे हमारे शरीर के मास्टर केमिस्ट और होमियोस्टैटिक अंग होते हैं। शरीर में रक्त साफ करने की प्रक्रिया के साथ ही पानी की मात्रा संतुलित करना, रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित करना, शरीर से अपशिष्ट विषैले पदार्थों को मूत्र के जरिये बाहर करना और आवश्यक पदार्थ (विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम इत्यादि) वापस शरीर में पहुंचाकर इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करना इनका कार्य है।

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