सर्वे ऑफ इंडिया बना रहा ऐसा नक्शा, 2.5 मीटर तक की हर चीज होगी नक्शे में कैद
सर्वे ऑफ इंडिया अब तक के सबसे बड़े स्केल का नक्शा तैयार कर रहा है। जमीन पर दो से 2.5 मीटर तक के हिस्से पर जो भी चीज मौजूद होगी उसे सेटेलाइट नक्शे पर दर्ज कर लिया जाएगा।
देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (लखीमपुर खीरी क्षेत्र तक) की जमीन पर दो से 2.5 मीटर तक के हिस्से पर जो भी चीज मौजूद होगी, उसे सेटेलाइट नक्शे पर दर्ज कर लिया जाएगा। वहीं, इस भाग पर भी 80 सेंटीमीटर तक की वस्तु को स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा। इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया अब तक के सबसे बड़े स्केल (1:2000) का नक्शा तैयार कर रहा है। अब तक इस भूभाग पर 1:50000 (वन इज टू फिफ्टी थाउजेंड) का नक्शा उपलब्ध है।
सर्वे ऑफ इंडिया के भू-स्थानिक आंकड़ा केंद्र के निदेशक आरके मीणा ने बताया कि नक्शा बनाने के लिए नेशनल रिमोट सेंसिंग (हैदराबाद) के माध्यम से हाई रेजोल्यूशन सेटेलाइट चित्र मंगा लिए गए हैं।
अब धरातल पर जाकर चित्रों के आधार पर मैपिंग की जाएगी। अप्रैल 2019 तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। अब तक उपलब्ध नक्शे से यह स्केल 25 गुना है। यह नक्शा गूगल मैप से भी कहीं अधिक सटीक होगा और इसे सर्वे ऑफ इंडिया की वेबसाइट 'इंडियामैप्स.जीओवी.आइएन' पर भी देखा जा सकेगा। राज्य और केंद्रीय संस्थान तमाम परियोजनाओं के निर्माण के लिए इसका लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा निजी सेक्टर में भी बड़ी परियोजनाओं के निर्माण में इससे मदद मिल सकेगी।
दोबारा सर्वे की नहीं पड़ेगी जरूरत
भू-स्थानिक आंकड़ा केंद्र के निदेशक आरके मीणा के मुताबिक, बड़े स्तर की परियोजनाओं के निर्माण के लिए अलग से संबंधित क्षेत्र की मैपिंग की जरूरत पड़ती है। ताकि धरातल पर स्थिति को सटीक बनाया जा सके। हालांकि, 1:2000 स्केल के मैप के बाद सभी तरह की जरूरतें स्वत: ही पूरी हो जाएगी।
यह होता है स्केल का मतलब
1:2000 स्केल की बात करें तो इसका यह मतलब हुआ कि धरातल पर जो चीज 20 मीटर हिस्से पर है, उसे नक्शे पर एक सेंटीमीटर पर दिखाया जाएगा। यानी कि 20 मीटर भाग को आप एक तस्वीर का हिस्सा मान सकते हैं। इस तस्वीर को जूम करने पर 80 सेंटीमीटर तक बड़ी किसी भी आकृति को साफ देखा सकता है। इसी तरह इससे बड़े 5000 स्केल पर 50 मीटर, 10 हजार के स्केल पर 100 मीटर व 50 हजार के स्केल पर धरातल का 500 मीटर नक्शे में एक सेंटीमीटर में दिखाया जाता है। नक्शे के स्केल के अनुरूप ही यह तय होता है कि धरातल पर कितनी छोटी चीजों को साफ-साफ दिखाया जा सकता है। क्योंकि जितने बड़े भू-भाग की तस्वीर ली जाएगी, उसे जूम करने पर छोटी-छोटी चीजों को साफ देख पाना संभव नहीं हो पाता है।
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