अंग्रेजी शासनकाल से चला आ रहा टोटके से अपराध रोकने का विश्वास
नए साल के पहले दिन आपराधिक घटना की हो तो पुलिस इसका मुकदमा दर्ज करने से परहेज करती है। पुलिस का यह रवैया आज से नहीं बल्कि अंग्रेजी शासनकाल से चला आ रहा है।
देहरादून, जेएनएन। आज के आधुनिक और शिक्षित जमाने में भी लोग टोटकों पर भरोसा करते हैं। केवल आमजन ही नहीं, बल्कि पुलिस भी इससे अछूती नहीं है। खासकर बात जब नए साल के पहले दिन आपराधिक घटना की हो तो पुलिस इसका मुकदमा दर्ज करने से परहेज करती है। पुलिस का यह रवैया आज से नहीं, बल्कि अंग्रेजी शासनकाल से चला आ रहा है। बात दून जैसे शिक्षित शहर की करें तो यहां भी पुलिस का अंदाज यही है।
अंग्रेजी हुकूमत से आजमाए जा रहे इस टोटके को खाकी ने नए साल 2020 में फिर से दोहराया। थानों में अपराध संख्या एक पर गुडवर्क दर्ज कर साल भर चैन की बंसी बजाने का विश्वास इस कदर हावी रहा कि अधिकांश थानों में साल अपराध रजिस्टर पर खाता गुडवर्क के साथ ही खोला गया। दरअसल, पुलिस महकमे में अपराध संख्या एक पर गुडवर्क दर्ज करने को शुभ माना जाता है।
कोतवाल और थानेदारों का मानना है कि यदि पहले दिन गुडवर्क दर्ज होगा तो साल भर सब अच्छा गुजरेगा। इसलिए जिले के अधिकांश थानों ने अंग्रेजों के टोटके से ही शुरुआत की, ताकि उनके इलाके में अपराध पर काबू रहे। हालांकि जाहिरा तौर पर कोई भी कोतवाल, थानेदार या अधिकारी इस सच की स्वीकारने से कतराता ही दिखेगा, लेकिन महकमे के जानकारों की मानें तो यह सिलसिला ब्रिटिश हुकूमत के समय से ही चला आ रहा है। जिस पर खाकी का विश्वास अब अंधविश्वास का रूप धर चुका है, जिस पर न चाहते हुए कई थानेदारों को यकीन करना पड़ता है।
एक महीने से चल रही थी तैयारी
अपराध संख्या एक पर गुडवर्क ही दर्ज करने की प्लानिंग करीब एक महीने से चल रही थी। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने दिसंबर की शुरूआत में ही सभी थानों को हिदायत दे दी थी कि वह अपने यहां सक्रिय आपराधिक गिरोहों की कुंडली खंगालना शुरू कर दें और दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हर हाल में गैंगेस्टर की रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी जाए। ताकि जिलाधिकारी की अनुमति मिलने पर उसे नए साल में क्राइम नंबर एक पर गैंगेस्टर का मुकदमा दर्ज किया जा सके।
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...तो खत्म हो जाना था अपराध
गुडवर्क के टोटके का रत्ती भर भी असर होता तो इतने वर्षों में तो अपराध का खात्मा हो जाना था। मगर हकीकत यह है कि बीता साल कई सनसनीखेज वारदात के नाम पर रहा। ईश्वरन डकैती कांड हो या फिर जहरीली शराब से हुई सात मौत। अपराधी पूरे साल सक्रिय रहे। दरअसल, पुलिस सिर्फ अंधविश्वास के बूते अपराध रोकना चाहती है, लेकिन ठोस और प्लानिंग के साथ काम करने से दूर होती है। मगर इस बार देहरादून पुलिस ने पिछले कई वर्षों का रिकार्ड तोड़ते हुए गुडवर्क के टोटके को अपराधियों पर शिकंजा कसने का हथियार बना दिया।
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