यो-यो टेस्ट में सन्नी राणा 17.3 के स्कोर के साथ अव्वल
उत्तराखंड टीम के खिलाड़ियों ने यो-यो टेस्ट में खुद को साबित किया। टेस्ट में सन्नी राणा ने 17.3 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर किया।
देहरादून, [जेएनएन]: पहली बार बीसीसीआइ के घरेलू सत्र के टूर्नामेंट खेलने जा रही उत्तराखंड टीम के खिलाड़ियों ने यो-यो टेस्ट में खुद को साबित किया। टेस्ट में सन्नी राणा ने 17.3 का सर्वश्रेष्ठ स्कोर किया। वहीं, वैभव भट्ट 17.2 के स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर रहे। उत्तराखंड क्रिकेट कंसेंसस कमेटी (यूसीसीसी) की तर्ज पर पहली बार उत्तराखंड की टीम बीसीसीआइ के घरेलू सत्र में खेलने जा रही है। इसकी शुरुआत विजय हजारे ट्रॉफी से हो रही है।
विजय हजारे ट्रॉफी के लिए टीम चयन करने के लिए 25 सदस्यों की टीम का अभिमन्यु क्रिकेट ऐकेडमी में कैंप चल रहा है। कैंप में शनिवार को सभी खिलाड़ियों का यो-यो टेस्ट लिया गया। जिसमें सन्नी राणा ने सबसे अधिक 17.3 स्कोर किया है। इसके बाद वैभव भट्ट ने 17.2, करनवीर कौशल ने 16.3, दीपक दपोला ने 16.2 और कार्तिक जोशी ने 16.1 स्कोर किया है। इनके अलावा कैंप में मौजूद अन्य खिलाड़ियों ने भी यो-यो टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन किया।
विजय हजारे टीम के समन्वयक महिम वर्मा ने बताया कि बीसीसीआइ से आए मुख्य कोच भास्कर पिल्लई और ट्रेनर प्रशांत पुजारा ने टीम के सभी खिलाड़ियों को फिट बताया है। उन्होंने बताया कि जिन खिलाड़ियों का शुक्रवार को मेडिकल टेस्ट नहीं हो पाया था, आज उनका मेडिकल करा कर जांच भेज दी गई है, सोमवार तक रिपोर्ट आने की संभावना है। बारिश बन रही आफत देहरादून में रोज होने वाली बारिश टीम के लिए परेशानी का सबब बन रही है, शनिवार को भी बारिश की वजह से खिलाड़ियों को इंडोर में यो-यो टेस्ट देना पड़ा। अगर लगातार बारिश होती रही तो टीम को दिल्ली का रुख करना पड़ सकता है।
यह है यो-यो टेस्ट:
क्रिकेट में 'यो-यो बीप टेस्ट' किसी खिलाड़ी के दमखम का परीक्षण करने के लिहाज से सबसे अहम माना जाता है। टेस्ट में 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तिया बनाई जाती हैं। खिलाड़ी रेखा के पीछे अपना पाव रखकर शुरुआत करता है और निर्देश मिलते ही दौड़ना शुरू कर देता है। उसे 20 मीटर की दूरी पर बनी दो पंक्तियों के बीच लगातार दौड़ना होता है और जब बीप बजती है तो मुड़ना होता है।
\हर एक मिनट या तय किए गए समय में खिलाड़ी को अपने दौड़ने की गति को तेज करना होता है। अगर वह समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और 'बीप' के बाद उसे तेजी पकड़नी पड़ती है। अगर इसके बाद भी खिलाड़ी दो छोरों पर मानकों के मुताबिक तेजी हासिल नहीं कर पाता तो उसका परीक्षण रोक दिया जाता है। ये पूरी प्रक्रिया सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है।
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